गुरु गोविंद सिंह के अनमोल विचार , आज भी लोग करते है याद

RATNA 

आज 6 जनवरी को सिखों के दसवें और आखिरी गुरु गोविंद सिंह की जयंती मनाई जा रही है.  वीर संत गुरु गोविंद सिंह के बहादुरी की मिसाल इतिहास के पन्नों पर दर्ज है. हर साल पौष शुक्ल सप्तमी को इनकी जयंती होती है.  

इन्होनें मुगलों के सामने कभी घुटने नहीं टेके और खालसा पंथ की स्थापना की.  वाहे गुरु जी का खालसा या वाहे गुरु जी की फतेह कहना उनकी वीरता को बयां करता है.

22 दिसंबर 1666 में गुरु गोविंद सिंह का जन्म हुआ था. आज 6 जनवरी 2025 में गुरु गोविंद सिंह जी की 358वीं जयंती मनाई जा रही है . गुरु गोविंद सिंह की जयंती को सिख भाई बहन प्रकाश पर्व के रूप में मनाते है. इस दिन पर सिख समुदाय के लोग गुरुद्वारे जाकर मत्था टेकते हैं, प्रार्थना-कीर्तन करते हैं और उनकी दी हुई सीख को याद करते हैं.

आज का दिन उनकी शिक्षाओं पर चिंतन करने के साथ ही उनके मूल्यों, निर्भयता, करूणा, अटूट विश्वास और आत्मनिरीक्षण करने का दिन है. गुरु गोविंद सिंह साहस, ज्ञान और आध्यात्मिकता के प्रतीक माने जाते हैं.

गुरु गोबिंद सिंह जी के कुछ अनमोल विचार.

1.''गुरुबानी को कंठस्थ कर लें.''

2."इंसान से प्रेम करना ही, ईश्वर की सच्ची आस्था और भक्ति है."

3.''व्यक्ति को कभी भी किसी दूसरे की चुगली या निंदा नहीं करना चाहिए. 

4. "मैं उन लोगों को पसंद करता हूँ जो सच्चाई के मार्ग पर चलते हैं."

5.''स्वार्थ की भावना ही बुरे कर्मों के जन्म का कारण बनता है. ''

6. "इंसान से प्रेम करना ही, ईश्वर की सच्ची आस्था और भक्ति है."

7. "अच्छे कर्मों से ही आप ईश्वर को पा सकते हैं. अच्छे कर्म करने वालों की ही ईश्वर मदद करता है."

 

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