शब-ए-बारात आज या कल, क्यों है ये त्योहार मुसलमानों के लिए ख़ास

मुसलमानों का खास त्योहार शब-ए-बारात इस्लामिक कैलेंडर शाबान की 15वीं तारीख को मनाया जाता है. इस साल इस त्योहार को लेकर दो तारीखों में लोग असमंजस में है. भारत में कुछ लोग शब-ए-बरात की तारीख 13 फरवरी तो कुछ 14 फरवरी मान रहे हैं. हालांकि शब-ए-बारात कब मनाया जाएगा या शाबान के चांद के दीदार के दिन ही तय हो जाता है.
माह-ए-रमजान की तरह ही शब-ए-बारात भी इस्लाम का महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है, ये त्योहार मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए एक खास महत्व रखता है. इस दिन लोग अल्लाह की इबादत करते हैं और अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं. इस दौरान कुछ लोग शब-ए-बारात पर दो दिनों का रोज़ा भी रखते हैं.
शब-ए-बारात मुस्लिम समुदाय में इबादत, तिलावत और सखावत की रात है. इस्लामिक कैलेंडर के शाबान महीने की 15वीं रात को मनाई जाती है. इस दिन अल्लाह से गुनाहों की माफी मांगी जाती है.
इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार हर साल शब-ए-बारात शाबान 15 के मध्य होती है. इस साल धार्मिक संगठनों द्वारा घोषणा की गई थी कि 30 जनवरी को शाबान का चांद देखा गया. इस तरह में शाबान की पहली तारीख 31 जनवरी घोषित की गई थी और इस आधार पर 13 फरवरी यानि आज भारत में शब-ए-बरात मनाई जाएगी.
शब-ए-बारात क्यों है ख़ास
शब-ए-बारात मुसलमानों के लिए बहुत पवित्र रात होती है. इसमें वह रातभर जागकर नमाज अदा करते हैं. कुरान पढ़ते हैं, अल्लाह की इबादत करते हैं और गुनाहों से तौबा करते हैं. शब-ए-बारात को प्रायश्चित की रात माना जाता है, जहां यह माना जाता है कि सर्वशक्तिमान उन लोगों के पापों को क्षमा कर देते हैं जो ईमानदारी से प्रार्थना करते हैं और उन्हें पूरे वर्ष के लिए आशीर्वाद प्रदान करते हैं ।
शब-ए-बारात की रात को मगफिरत की रात भी कहा जाता है. साथ ही इसे इबादत, तिलावत और सखावत का रात भी कहा जाता है. इस्लाम के पांच महत्वपूर्ण रातों में शब-ए-बारात की रात भी एक है, जिसमें अल्लाह अपने बंदों की दुआएं कबूल करते हैं.
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