60 साल बाद महाशिवरात्रि पर बन रहा दुर्लभ योग

इस साल महाशिवरात्रि पर 60 साल बाद दुर्लभ योग बन रहा है. इस बार मकर राशि के चंद्रमा की उपस्थिति में महाशिवरात्रि का पावन पर्व मनाया जाएगा. शिव भक्तों को मिलेगा महाशिवरात्रि की पूजा का कई गुना पुण्य. मान्यता है कि इस दिन शिव जी और माता पार्वती का विवाह हुआ था, इसलिए यह पर्व हर साल शिव भक्तों द्वारा धूमधाम से मनाया जाता है. महाशिवरात्रि के दिन शिवजी के भक्त श्रद्धा और विश्वास के साथ व्रत रखते हैं और विधि-विधान से शिव-गौरी की पूजा करते हैं. इस साल महाशिवरात्रि के दिन 60 साल बाद बेहद दुर्लभ संयोग बन रहा है. इस बार धनिष्ठा नक्षत्र, परिघ योग, शकुनी करण और मकर राशि में चंद्रमा की उपस्थिति रहेगी.60 साल बाद बन रहा है और तीन राशियों के लिए बेहद ही शुभ साबित होगा. आईए जानते है कौन सी है वो राशियां-
मेष राशि
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन बन रहा संयोग मेष राशि के लिए बहुत ही शुभ साबित होगा. इस राशि के जातकों की हर मनोकामना पूरी होगी और धन प्राप्ति के रास्ते खुलेंगे. अगर आप नौकरी की तलाश में हैं तो जल्द ही अच्छा ऑफर मिल सकता है.
मिथुन राशि
महाशिवरात्रि का दिन मिथुन राशि वाले जातकों के लिए भी बहुत ही शुभ साबित होने वाला है. इस राशि के जातकों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और पैसों से जुड़ी समस्याएं दूर होंगी. पारिवारिक रिश्ते मधुर होंगे और माता, पिता का सहयोग मिलेगा.
सिंह राशि
महाशिवरात्रि का दिन सिंह राशि के जातकों के जीवन में भी खुशियां लेकर आएगा. इस राशि के जातक यदि किसी व्यापार में निवेश के बारे में सोच रहे हैं तो यह अच्छा समय है. इस दौरान बिजनेस में मुनाफा होगा. काफी समय से रूका हुआ पैसा वापस आ सकता है और आर्थिक स्थिति मजबूत होगी.
महाशिवरात्रि तिथि
तिथि की शुरुआत 26 फरवरी को सुबह 11:08 मिनट से होगी. इस तिथि का समापन अगले दिन 27 फरवरी को सुबह 8:54 मिनट पर होगा.
चार प्रहर की पूजा का समय
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास के अनुसार 26 फरवरी को प्रथम प्रहर पूजा का समय शाम 06:19 बजे से रात्रि 09:26 बजे तक रहेगा। वहीं द्वितीय प्रहर पूजा का समय रात्रि 09:26 बजे से मध्यरात्रि 12:34 मिनट पर संपन्न होगा।
इसके बाद 27 फरवरी को तृतीय प्रहर पूजा का समय मध्यरात्रि 12:34 बजे से सुबह 03:41 बजे तक है। चतुर्थ प्रहर पूजा का समय 27 फरवरी सुबह 03:41 बजे से सुबह 06:48 बजे तक रहेगा।
चार प्रहर की पूजा करने से भक्त को धन, यश, प्रतिष्ठा और समृद्धि की प्रप्ति होती है. मान्यताओं के अनुसार, यथा श्रद्धा, यथा प्रहर, यथा स्थिति और यथा उपचार के अनुसार साधना करनी चाहिए। जिनके जीवन में संतान संबंधी बाधा हो रही हो, उन्हें भी यह साधना अवश्य करनी चाहिए।
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