महाशिवरात्रि से पहले महाकुंभ में स्नान का शुभ संयोग, जानें तिथि
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मकर संक्रांति पर महाकुंभ की शुरुआत हुई, जो 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन समाप्त होगी. महाशिवरात्रि का पर्व भोलेनाथ को समर्पित है, मान्यता है कि इस दिन तीर्थ नगरी में स्नान करने से पुण्य दोगुना मिलता है. 26 फरवरी को महाशिवरात्रि पर आखिरी शाही स्नान किया जाएगा. लेकिन जो भक्त महाशिवरात्रि के दिन स्नान नहीं कर पा रहे है. वो महाशिवरात्रि से पहले इस दिन स्नान कर सकते हैं. तो आईये जानते हैं महाशिवरात्रि से पहले महाकुंभ में स्नान के लिए शुभ संयोग कब बन रहा है -
विजया एकादशी, और फाल्गुन कृष्ण प्रदोष व्रत के दिन भी महाकुंभ में स्नान कर सकते हैं. ये स्नान-दान के लिए पुण्य तिथियां मानी जाती है.विजया एकादशी 24 फरवरी 2025 को है. इस दिन महाकुंभ में ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और फिर गंगाजल से श्रीकृष्ण का अभिषेक करें. तीर्थ नगरी में ही विजया एकादशी पर दिया दान हजारों गुना पुण्य प्रदान करता है. श्रीहरि की कृपा मिलती है.
फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत 25 फरवरी 2025 को है. इस दिन भी महाकुंभ में गंगा स्नान करने श्रेष्ठ होगा. स्नान के बाद गंगा जी का , सूर्य देव की पूजा और भोलेनाथ का गंगाजल से अभिषेक करें.
महाशिवरात्रि 2025 स्नान मुहूर्त
इस पवित्र दिन त्रिवेणी संगम, काशी में आस्था की डुबकी लगाने से महादेव का आशीर्वाद मिलता है. संकट के साथ रोग, दोष भी समाप्ति होने की मान्यता है.
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05:09 - सुबह 05:59
अमृत काल मुहूर्त -सुबह 07:28 - सुबह 09:00
शुभ - सुबह 11.08 - दोपहर 12.34
इसके अलावा अगर आप प्रयागराज नहीं जा पा रहे हैं, तो घर पर भी विशेष विधि से स्नान करके महाकुंभ जैसा पुण्य अर्जित किया जा सकता है।
सूर्योदय से पहले उठें – महाकुंभ स्नान का विशेष महत्व अमृत बेला में स्नान करने से होता है।
गंगाजल मिलाकर स्नान करें – अपने स्नान जल में गंगाजल की कुछ बूंदें मिलाएं और श्रद्धा से स्नान करें।
स्नान के दौरान यह मंत्र पढ़ें- "हर हर गंगे, गंगे च यमुनायै चैव, गोदावरी सरस्वती। नर्मदे सिंधु कावेरी, जलेस्मिन संनिधिं कुरु।"
शिवलिंग का जलाभिषेक करें – स्नान के बाद शिवलिंग पर दूध, गंगाजल या शहद चढ़ाएं और "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करें।
सूर्य को अर्घ्य दें – जल में लाल फूल डालकर सूर्यदेव को अर्घ्य देने से विशेष पुण्य मिलता है।
दान करें – इस दिन अनाज, वस्त्र, दूध, दही, घी या धन का दान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है।
पूर्वजों का तर्पण करें – पितरों के नाम से तर्पण करने से उनका आशीर्वाद मिलता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
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