गुड फ्राइडे : प्रभु यीशु के जीवन में बलिदान और पीड़ा को दर्शाता

गुड फ्राइडे को ईसाई धर्म के लोग एक महत्वपूर्ण दिन मानते हैं. इस दिन प्रभु यीशू मानवता की भलाई के लिए हंसते-हंसते सूली पर चढ़ गए थे. इस साल 2025 में गुड फ्राइडे 18 अप्रैल को है. गुड फ्राइडे का यह दिन ईसाई धर्म के लिए काफ़ी ख़ास होता है, जोकि ईस्टर से पहले पड़ने वाले शुक्रवार को होता है. इसे ब्लैक फ्राइडे, ग्रेट फ्राइडे और होली फ्राइडे भी कहते हैं.  इस पर्व को प्रभु यीशु मसीह के बलिदान के रूप में मनाया जाता है.   ईसाई धर्म के लोग इस दिन प्रभु के बताए शांति और प्रेम के मार्ग पर चलने का वचन लेते हैं और उन्हें याद करते हैं और देश के कई अलग अलग गिरजाघरों (चर्च) सेवाओं में भाग लेते है और प्रार्थना करते हैं.  

गुड फ्राइडे पर्व को मनाने का इतिहास- 
गुड फ्राइडे त्योहार के इतिहास के मुताबिक़ जब यीशू यरुशलम में रहकर मानवता, एकता, भाईचारा और शांति का संदेश दिया करते थे, तब से लोग उन्हें परमात्मा का दूत मानने लगे थे, ये बात यहूदी शासकों को नागवार गुजरी और उन्हें सूली पर लटका दिया गया.  कहा जाता है, जब यीशु को जब सूली पर चढ़ाया जा रहा था, तो वे हंसते-हंसते लोगों की भलाई के लिए सूली पर चढ़ गए. जो उनके साहस और संपूर्ण मानव जाति को यह संदेश देते है कि, समाजिक कल्याण के लिए जीवन कुर्बान करना पड़े तो हंसते-हंसते कर दो.
प्रभु यीशु ने न सिर्फ प्रेम, करुणा, ज्ञान और अंहिंसा का संदेश दिया, बल्कि यहूदी शासकों से कठोर शारीरिक और मासिक यातनाएं झेलकर सूली पर चढ़ गए.जिस दिन प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ाया गया था, उस दिन शुक्रवार था. इसलिए इस दिन को गुड फ्राइडे कहते हैं और इस पर्व को यीशु के बलिदान दिवस के रूप में मनाते हैं. 

गुड फ्राइडे के दिन कुछ लोग इस दिन उपवास करते हैं और मांस से परहेज करते हैं। भारत के कई क्षेत्रों में यीशु के जीवन के अंतिम दिनों और घंटों को दर्शाने के लिए परेड या खुली हवा में नाटक आयोजित करते हैं।

क्यूंकि इस पर्व के पीछे प्रभु यीशु का बलिदान है, ईसाई धर्म में एक महत्वपूर्ण घटना है, क्योंकि यह ईसा के जीवन में बलिदान और पीड़ा को दर्शाता है। इसलिए ईसाई लोगों के लिए गुड फ्राइडे दुख का दिन है, यही कारण है कि इस दिन चर्च खाली और अंधेरे में रहते हैं और सभी  प्रार्थना सभाएँ दोपहर में होती हैं। कई चर्चों में पत्तियों, सिरके और अन्य सामग्रियों से बना कड़वा पेय होता है। प्रार्थना सभा के बाद यह पेय सभी को चखना होता है।

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