'बड़ा मंगल' मनाने की परंपरा करीब 500 साल पुरानी

बड़ा मंगल उत्तर भारत, विशेषकर उत्तर प्रदेश के लखनऊ शहर में मनाया जाने वाला एक विशेष धार्मिक उत्सव है, जो भगवान हनुमान जी को समर्पित होता है। यह पर्व हिंदू पंचांग के ज्येष्ठ माह (अप्रैल-मई) में हर मंगलवार को मनाया जाता है, और इसे बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।
2025 में 'बड़ा मंगल' की शुरुआत मंगलवार, 13 मई 2025 से होगी। यह पर्व उत्तर भारत, विशेषकर लखनऊ, कानपुर, वाराणसी और आसपास के जिलों में ज्येष्ठ माह के प्रत्येक मंगलवार को मनाया जाता है। इस दिन हनुमान जी की विशेष पूजा-अर्चना, सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ, तथा भंडारे और जलपान की व्यवस्था की जाती है।
बड़ा मंगल क्या है?
यह त्योहार हनुमान जी की भक्ति और कृपा के उत्सव के रूप में मनाया जाता है।ज्येष्ठ माह के चार या पांच मंगलवारों को "बड़ा मंगल" कहा जाता है, और हर मंगलवार को विशेष पूजा, भंडारा, और धार्मिक कार्यक्रम होते हैं।
इतिहास और परंपरा:
माना जाता है कि यह परंपरा करीब 500 साल पुरानी है। एक मान्यता के अनुसार, नवाबों के दौर में लखनऊ में हनुमान जी की कृपा से कोई बड़ा संकट टल गया था, तभी से यह परंपरा शुरू हुई और आज भी पूरी श्रद्धा के साथ मनाई जाती है। यह हिंदू-मुस्लिम एकता का भी प्रतीक माना जाता है क्योंकि इसमें सभी धर्मों के लोग हिस्सा लेते हैं और भंडारा सेवा करते हैं।
बड़ा मंगल का महत्व:
- यह पर्व विशेष रूप से लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, उन्नाव, बाराबंकी और आसपास के क्षेत्रों में बड़े उत्साह से मनाया जाता है।
- इस दिन हनुमान जी के मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना, सुंदरकांड पाठ, हनुमान चालीसा और चोला चढ़ाने की परंपरा होती है।
- शहर भर में भंडारे, प्याऊ, लस्सी और ठंडाई की व्यवस्था की जाती है, जिसमें सभी धर्मों और वर्गों के लोग भाग लेते हैं।
बड़ा मंगल की विशेषताएं:
हनुमान मंदिरों में विशाल पूजा और दर्शन- लोग सुबह से ही मंदिरों में जाकर पूजा करते हैं।
भंडारे और प्रसाद वितरण:
सड़कों, मोहल्लों और मंदिरों के पास हजारों भंडारे लगते हैं, जहाँ कोई भी भूखा नहीं रहता।
शोभायात्रा और झांकियां:
कुछ जगहों पर हनुमान जी की झांकियां भी निकाली जाती हैं।
लोक सेवा और सहयोग:
कई सामाजिक संगठन, स्कूल, दुकानें और सामान्य नागरिक मिलकर आयोजन करते हैं।
बड़ा मंगल खासतौर पर कहां मनाया जाता है?
लखनऊ इसका केंद्र है, जहां इसे बहुत बड़े स्तर पर मनाया जाता है।इसके अलावा कानपुर, उन्नाव, हरदोई, बाराबंकी जैसे आस-पास के जिलों में भी यह परंपरा देखने को मिलती है।
इस दिन का धार्मिक महत्व:
- हनुमान जी को "कलियुग के जीवंत देवता" माना जाता है।
- उनकी कृपा से संकटों से मुक्ति, बल, बुद्धि और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
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