"बुद्ध पूर्णिमा 2025: मां लक्ष्मी की कृपा चाहिए तो इन बातों का रखें ध्यान"

बुद्ध पूर्णिमा हिन्दू और बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए एक अत्यंत पवित्र दिन होता है। यह भगवान बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति (बोधि) और महापरिनिर्वाण का प्रतीक है। इस दिन को शुभ कार्यों के लिए विशेष माना जाता है, लेकिन साथ ही कुछ कार्यों से बचने की सलाह भी दी जाती है ताकि घर में सुख-शांति और लक्ष्मी जी की कृपा बनी रहे। ऐसे में बुद्ध पूर्णिमा पर ये 6 काम करने की भूल न करें. आईये जानते है बुद्ध पूर्णिमा का महत्व.
बुद्ध पूर्णिमा का महत्व:
1. तीन प्रमुख घटनाओं का दिन:
यह दिन भगवान बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति (बोधि) और महापरिनिर्वाण – तीनों घटनाओं का प्रतीक है। इसे त्रिसंयोगी पर्व भी कहा जाता है।
2.सत्य और अहिंसा का प्रतीक:
यह दिन सत्य, करुणा, संयम और अहिंसा जैसे सिद्धांतों को अपनाने का संदेश देता है। भगवान बुद्ध के उपदेश आज भी पूरी दुनिया में प्रासंगिक हैं।
3.बौद्ध अनुयायियों का सबसे बड़ा पर्व:
भारत, नेपाल, श्रीलंका, थाईलैंड, म्यांमार, चीन और जापान जैसे देशों में इसे बड़े श्रद्धा और उत्साह से मनाया जाता है।
बुद्ध पूर्णिमा पर ये 6 काम करने की भूल न करें:
मांसाहार और मदिरा का सेवन:
इस दिन पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है। मांस, शराब या किसी भी तामसिक वस्तु का सेवन मां लक्ष्मी की कृपा को दूर कर सकता है।
क्रोध और वाणी का अपमानजनक प्रयोग:
बुद्ध पूर्णिमा पर शांत चित्त और मधुर वाणी को अपनाना चाहिए। किसी से झगड़ा या कटु वचन बोलने से नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
दान से मुंह मोड़ना:
इस दिन दान-पुण्य विशेष फलदायी होता है। अन्न, वस्त्र, धन या शिक्षा का दान करने से पुण्य बढ़ता है। दान से बचना मां लक्ष्मी की कृपा से वंचित कर सकता है।
झूठ बोलना और छल-कपट करना:
भगवान बुद्ध ने सत्य और अहिंसा का संदेश दिया था। झूठ या धोखा देने से न केवल पाप लगता है, बल्कि मां लक्ष्मी भी रूठ जाती हैं।
सफाई में लापरवाही:
घर और पूजा स्थान की सफाई न करना अशुभ होता है। गंदगी नकारात्मक ऊर्जा को आमंत्रित करती है और धन की हानि का कारण बन सकती है।
पेड़-पौधों और पशु-पक्षियों को नुकसान पहुंचाना:
इस दिन जीवों के प्रति करुणा दिखाना विशेष पुण्यदायी होता है। किसी भी जीव की हत्या या उन्हें कष्ट देना पाप माना जाता है।
यह पर्व वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि को आता है, जो शुभ मुहूर्त में की गई साधना और पूजा के लिए अत्यंत फलदायी मानी जाती है। इस दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण ऊर्जा में होता है, जिससे ध्यान और साधना का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।
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