शुरू हो गया है अग्नि पंचक, इन मांगलिक कार्यों को करने से बचे

इस साल 20 मई 2025 को सुबह 7 बजकर 35 मिनट पर अग्नि पंचक शुरू हो रहे हैं और 24 मई को दोपहर 1.48 पर इसका समापन होगा.अग्नि पंचक एक विशेष खगोलीय योग है जिसे हिन्दू पंचांग के अनुसार अशुभ समय माना जाता है। जब चंद्रमा धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती — इन पांच नक्षत्रों में भ्रमण करता है, तब उसे पंचक काल कहा जाता है।  

अग्नि पंचक क्या होता है ? 
ज्योतिष में 27 नक्षत्र होते है, इसकी शुरुआत अश्विनी से होती है तो अंतिम नक्षत्र रेवती होती है. चंद्रमा इन सभी नक्षत्रों में भ्रमण करता है, जब चंद्रमा अंतिम 5 नक्षत्र धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तरा भाद्रपद, पूर्वा भाद्रपद और रेवती में होता है तो उस दौरान पंचक लगते हैं.  अग्नि" का अर्थ है आग और "पंचक" का अर्थ है पाँच नक्षत्रों का योग।

जब पंचक का आरंभ मंगलवार से होता है, तो आग से संबंधित दुर्घटनाओं, झगड़े, झुलसने या अग्नि जनित नुक़सान की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए इस काल को अत्यधिक संवेदनशील और अशुभ माना जाता है।यही वजह है कि पंचक के 5 दिन किसी भी तरह का मांगलिक कार्य नहीं करना चाहिए. कुछ चीजों की खरीदारी करने की भी मनाही है क्योंकि ये संकट पैदा करती हैं. ऐसे में अग्नि पंचक में कुछ कार्य नहीं करना चाहिए, आईये जानते हैं उन कार्यों के बारे में- 

  • अग्नि से जुड़े कार्य (जैसे हवन, खाना पकाना, किचन का निर्माण आदि) नहीं करने चाहिए।
  • दक्षिण दिशा की यात्रा से बचना चाहिए।
  • शव का दाह-संस्कार, खासकर यदि एक से अधिक हो, तो उसे बिना विशेष विधि के टालना चाहिए।
  • लकड़ी, तेल, घी का संग्रह न करें।
  • मांगलिक कार्य (विवाह, गृहप्रवेश, नामकरण, मुंडन आदि)
  • नया निर्माण कार्य या छत डालना

क्या कर सकते हैं?

  • धार्मिक कार्य, ध्यान, साधना।
  • भजन-कीर्तन, मंत्र जाप।
  • दान-पुण्य, जरूरतमंदों की सेवा।

उपाय (यदि कार्य टालना संभव न हो):
यदि आपको कोई जरूरी कार्य करना हो जैसे दाह-संस्कार या यात्रा, तो पंडित से परामर्श लेकर विशेष पूजा या शांति विधि करवाएं, जिसमें पंचक शांति पूजा, विशेष हवन और मृतक के साथ पांच पुतले (काष्ठ पुरुष) जलाना शामिल है.  

पंचक काल को अशुभ माना गया है, क्यूंकि यह समय नकारात्मक ऊर्जा और कष्ट लाने वाला समय माना जाता है। इसलिए इस दौरान कोई भी मंगल कार्य करने की मनाही होती है. 

 

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