"नौतपा में क्या करें, क्या न करें? जानिए धार्मिक दृष्टिकोण"

नौतपा (जो कि ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया से शुरू होता है) एक ऐसा समय होता है जब सूर्य सबसे अधिक प्रचंड रहता है। यह नौ दिन बेहद गर्म होते हैं. इसे ही नौतपा या नवतपा कहा जाता है. इस साल नौतपा की शुरुआत 25 मई से हो रही है जोकि 3 जून 2025 तक रहेगी. इस समय सूर्य रोहिणी नक्षत्र में रहते हैं और सूर्य की किरणें सीधे धरती पर पड़ती है. आयुर्वेद और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दौरान कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए।
नौतपा का धार्मिक महत्व
नौ तपने वाले दिन यानी नौतपा गर्मी के सबसे तीव्र और ऊर्जावान माने जाते हैं, और हिंदू धर्मशास्त्रों में इनका विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। यह अवधि सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करने के साथ शुरू होती है, और ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष में आती है।
नौतपा को सूर्य उपासना के लिए सबसे महत्वपूर्ण समय माना गया है। इस समय सूर्य अपनी पूरी शक्ति में होते हैं, और यह माना जाता है कि इन दिनों सूर्य देव को जल अर्पित करना, सूर्य मंत्रों का जाप करना, और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है।
- इससे रोग, दरिद्रता और शत्रुओं से मुक्ति मिलती है।
- धार्मिक दृष्टिकोण से यह समय वर्षा ऋतु की तैयारी का संकेत है।
- मान्यता है कि यदि नौतपा के समय सूर्य प्रचंड रूप में रहता है (अर्थात गर्मी अधिक होती है), तो अच्छी वर्षा होती है और अन्न-धान्य की भरपूर पैदावार होती है।
- इसलिए कृषक वर्ग इस समय सूर्य की आराधना करते हैं और अच्छी बारिश की कामना करते हैं।
- नाम के अनुसार "नौतपा" तपस्यात्मक ऊर्जा से भरा समय है।
- कई साधक इस समय उपवास, ध्यान, जप और ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं, क्योंकि इस समय की ऊर्जाएँ साधना में सहायक मानी जाती हैं।
संयम और शुद्ध जीवनशैली का महत्व:
- नौतपा के दौरान शरीर और मन को संतुलित रखने के लिए सात्त्विक आहार, संयमित दिनचर्या और शांतचित्त रहने की सलाह दी जाती है।
- आयुर्वेद और धर्म दोनों इस समय को शुद्धिकरण का अवसर मानते हैं — न केवल शरीर का, बल्कि मन और आत्मा का भी।
- सूर्य का रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश विशेष फलदायी माना जाता है।
- यह परिवर्तन संपूर्ण पृथ्वी पर ऊर्जाओं और मौसम में बदलाव लाता है।
- ज्योतिष अनुसार, सूर्य की यह स्थिति व्यक्ति की कुंडली पर भी असर डालती है, विशेषकर स्वास्थ्य, मनोबल और नेतृत्व शक्ति पर।
नौतपा के नौ दिनों में भूलकर भी न करें ये काम :
1. अधिक समय तक धूप में न रहें
नौतपा के दौरान सूर्य की किरणें तीव्रतम होती हैं, जिससे हीट स्ट्रोक, डिहाइड्रेशन और त्वचा संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं।
2. तली-भुनी और गरिष्ठ चीज़ें न खाएँ
गर्मियों में पाचन शक्ति कमजोर होती है, खासकर नौतपा में। भारी भोजन पेट की समस्याएँ पैदा कर सकता है।
3. क्रोध और तनाव से दूर रहें
अत्यधिक गर्मी का असर मानसिक स्वास्थ्य पर भी होता है। गुस्सा करने से शरीर और मन दोनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
4. ठंडा पानी एकदम से न पिएं
बहुत गर्म शरीर पर अचानक ठंडा पानी पीना या नहाना हानिकारक हो सकता है। इससे सर्दी या अन्य रोग हो सकते हैं।
5. बारिश का पानी या कच्चा पानी न पिएं
अगर नौतपा में बारिश हो जाए, तो उसका पानी दूषित हो सकता है। केवल उबला या फिल्टर किया हुआ पानी पिएं।
6. शरीर को बिना ढके धूप में न निकलें
सीधी धूप में निकलना त्वचा को जला सकता है। सिर और शरीर को ढँककर निकलना चाहिए।
7. अधिक शारीरिक श्रम या व्यायाम न करें
तेज़ धूप में अत्यधिक मेहनत करने से शरीर में पानी और नमक की कमी हो सकती है, जिससे चक्कर या कमजोरी हो सकती है।
8. ज़्यादा बर्फ़ीली चीजें न खाएँ
अचानक ज़्यादा ठंडी चीजें खाना गले और पाचन तंत्र पर असर डाल सकता है।
9. अग्नि या गैस के पास सतर्कता न बरतना
अत्यधिक गर्मी में गैस, स्टोव आदि से आग लगने की संभावना बढ़ जाती है। सावधानी ज़रूरी है।
नौतपा केवल मौसम का परिवर्तन नहीं, बल्कि धार्मिक, आध्यात्मिक और प्राकृतिक संतुलन का प्रतीक है। यह समय हमें याद दिलाता है कि जैसे प्रकृति तीव्र तपन के बाद वर्षा की शीतलता देती है, वैसे ही जीवन में तप, संयम और साधना के बाद शांति और फल की प्राप्ति होती है।
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