वट सावित्री व्रत 2025: जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

वट सावित्री व्रत 2025 में सोमवार, 26 मई को मनाया जाएगा। यह व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को रखा जाता है, जो इस वर्ष 26 मई को दोपहर 12:11 बजे से शुरू होकर 27 मई को सुबह 8:31 बजे तक रहेगी।  आईये जानते है, वट सावित्री व्रत का महत्व,  शुभ मुहूर्त,  पूजा विधि, पूजन सामग्री के बारे में- 

व्रत का महत्व
वट सावित्री व्रत पति की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और वैवाहिक सौभाग्य के लिए रखा जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, देवी सावित्री ने अपने तप और भक्ति से यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस प्राप्त किए थे। इस व्रत में वट वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है, क्योंकि इसमें ब्रह्मा, विष्णु और शिव का वास माना जाता है। 

शुभ मुहूर्त (26 मई 2025)

  • ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:09 से 4:57 बजे तक
  • सूर्योदय: सुबह 5:45 बजे
  • अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:57 से दोपहर 12:50 बजे तक
  • राहुकाल: सुबह 7:25 से 9:04 बजे तक (इस समय पूजा से बचें)

पूजा विधि

  • प्रातःकाल स्नान: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और पीले या लाल रंग की साड़ी पहनें।
  • सोलह श्रृंगार: पूरे सोलह श्रृंगार करें और व्रत का संकल्प लें।
  • वट वृक्ष की पूजा: वट वृक्ष के नीचे सावित्री-सत्यवान और यमराज की मूर्ति स्थापित करें।
  • पूजन सामग्री अर्पण: वृक्ष को जल, अक्षत, फूल, मिठाई आदि अर्पित करें।
  • परिक्रमा: कच्चे सूत (मौली) से वट वृक्ष की 7, 21 या 108 बार परिक्रमा करें।
  • व्रत कथा: काले चने हाथ में लेकर व्रत कथा पढ़ें या सुनें।
  • दान: ब्राह्मण या किसी योग्य महिला को सुहाग सामग्री दान करें।

पूजन सामग्री
रोली, अक्षत, सिंदूर, धूप, दीपक, फूल, मिठाई, जल कलश, नारियल, मौली (कलावा), पीली चुनरी, पंचमेवा, फल, सुपारी, धूपबत्ती, नया सूती धागा (वट वृक्ष पर बांधने के लिए), सावित्री-सत्यवान की मूर्ति, पूजा थाली, गंगाजल।

उत्तर भारत में वट सावित्री व्रत अमावस्या को मनाया जाता है, जबकि महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में इसे वट पूर्णिमा के रूप में ज्येष्ठ पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस वर्ष वट पूर्णिमा मंगलवार, 10 जून 2025 को है।

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