"इस बकरीद जानिए कुर्बानी से जुड़ी सभी जरूरी बातें"

ईद-उल-अजहा (बकरीद) 2025 की तारीख भारत में चाँद देखने पर निर्भर करती है। भारत में 28 मई 2025 की रात को धुल-हिज्जा का चाँद देखा गया, जिससे इस्लामी कैलेंडर का अंतिम महीना, धुल-हिज्जा, 29 मई से शुरू हुआ। इस आधार पर, बकरीद शनिवार, 7 जून 2025 को मनाई जाएगी। 

बता दें कि इस्लामी त्योहारों की तारीखें चंद्रमा की स्थिति पर निर्भर करती हैं, और विभिन्न देशों में चाँद देखने के समय में अंतर होने के कारण, ईद की तारीखें अलग-अलग हो सकती हैं। उदाहरण के लिए, सऊदी अरब में चाँद 27 मई को देखा गया था, जिससे वहाँ ईद-उल-अजहा शुक्रवार, 6 जून 2025 को मनाई जाएगी।

बकरीद, इस्लाम धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो हज़रत इब्राहीम (अलैहि सलाम) की अल्लाह के प्रति निष्ठा और बलिदान की याद में मनाया जाता है। इस दिन मुसलमान जानवर की कुर्बानी देते हैं, और उसका मांस तीन भागों में बाँटते हैं: एक हिस्सा परिवार के लिए, एक दोस्तों और रिश्तेदारों के लिए, और एक जरूरतमंदों के लिए।

बकरीद (ईद-उल-अजहा) के मौके पर कुछ खास दुआएँ (प्रार्थनाएँ) और कुर्बानी से जुड़े इस्लामी नियम होते हैं। आईये जानते है उन नियम के बारे में:

 1. कुर्बानी से पहले और बाद की दुआएँ
अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह के सिवा कोई पूजनीय नहीं, अल्लाह सबसे बड़ा है, और सारी तारीफें अल्लाह के लिए हैं। यह तकबीर ईद की नमाज़ के लिए जाते समय और नमाज़ के बाद बार-बार पढ़ी जाती है।

कुर्बानी करते समय पढ़ी जाने वाली दुआ:
जब जानवर को ज़बह (बलिदान) किया जाए, तो यह पढ़ा जाता है:

अल्लाह के नाम से, अल्लाह सबसे बड़ा है। हे अल्लाह! यह तेरी तरफ़ से है और तेरे ही लिए है।

2. कुर्बानी से जुड़े जरूरी नियम (शरई अहकाम)
 कौन कुर्बानी कर सकता है:
हर संपन्न (सामर्थ्यवान) मुस्लिम, जो साहिबे-निसाब हो (यानी ज़कात के लायक मालदार),वो कुर्बानी कर सकता है।

कुर्बानी के जानवर:
जानवर सेहतमंद और निर्दोष होना चाहिए (अंधा, लंगड़ा, बहुत कमज़ोर न हो)।

जानवरों की उम्र की शर्त:

  • बकरी/भेड़: कम से कम 1 साल
  • गाय/भैंस: कम से कम 2 साल
  • ऊँट: कम से कम 5 साल

कुर्बानी का समय:

  • ईद की नमाज़ के बाद से लेकर 12वीं जिलहिज्जा (धुल-हिज्जा) की शाम तक।
  • शहर में नमाज़ से पहले कुर्बानी करना जायज़ नहीं है।

मांस का बंटवारा:
तीन बराबर हिस्से:

  • खुद के लिए
  • दोस्तों और रिश्तेदारों के लिए
  • गरीबों और ज़रूरतमंदों के लिए

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