"रवि प्रदोष व्रत 2025: शिव कृपा पाने का सुनहरा अवसर"

आज रवि प्रदोष व्रत है. प्रदोष व्रत का दिन भगवान शिवजी की पूजा के लिए समर्पित है. अगर प्रदोष व्रत रविवार के दिन पड़े तो रवि प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है. आज ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि यानि 8 जून 2025 को रवि प्रदोष व्रत रखा गया है. यह दिन विशेष रूप से भगवान शिव की कृपा पाने का उत्तम अवसर माना जाता है। यह व्रत जब सोमवार और प्रदोष तिथि साथ पड़ें (सोम प्रदोष), तब इसका पुण्य और भी अधिक बढ़ जाता है। आईए जानते है क्या है रवि प्रदोष व्रत, व्रत के नियम और लाभ के बारे में-
रवि प्रदोष व्रत क्या है?
प्रदोष व्रत हर माह की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है, जब यह रविवार के दिन पड़ता है तो इसे रवि प्रदोष व्रत कहते हैं। यह दिन स्वास्थ्य, संतान सुख, समृद्धि और मानसिक शांति के लिए विशेष रूप से शुभ होता है।
रवि प्रदोष व्रत के नियम :
1. व्रत का संकल्प
- सुबह स्नान के बाद भगवान शिव का ध्यान करके व्रत का संकल्प लें
- "आज मैं शिव कृपा हेतु रवि प्रदोष व्रत का पालन कर रहा/रही हूँ।"
2. उपवास करें या फलाहार लें
यदि पूरा दिन उपवास कठिन हो, तो केवल फल और जल ग्रहण करें।
3. शिवलिंग पर जलाभिषेक करें
- प्रदोष काल: सूर्यास्त से 45 मिनट पहले और बाद तक (लगभग शाम 6:45 PM से 8:15 PM तक)।
- अभिषेक सामग्री: जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा, सफेद पुष्प, अक्षत (चावल)
4. शिव मंत्र जाप करें
कम से कम 108 बार इन मंत्रों में से किसी एक का जाप करें:
- "ॐ नमः शिवाय"
- "महामृत्युंजय मंत्र"
- ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
- उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
5. शिव आरती और प्रदोष व्रत कथा
- शाम के समय दीपक जलाकर शिव जी की आरती करें।
- प्रदोष व्रत की कथा सुनें या पढ़ें
- गरीब या ब्राह्मण को अन्न, वस्त्र, या दक्षिणा का दान करें।
रवि प्रदोष व्रत के लाभ
- रोग, भय और कर्ज से मुक्ति
- संतान सुख की प्राप्ति
- विवाहित जीवन में मधुरता
- भगवान शिव की विशेष कृपा व रुद्रशक्ति की प्राप्ति
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