वट पूर्णिमा 2025: व्रत तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

ज्येष्ठ पूर्णिमा या वट सावित्री/वट पूर्णिमा का व्रत मुख्य रूप से सुहागिन महिलाएँ अपने पति की लंबी आयु, सुख और सौभाग्य के लिए श्रद्धा से मनाती हैं। आईये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं:
तिथि और समय
- पूर्णिमा तिथि शुरुआत: 10 जून, 2025 को सुबह 11:35 बजे से
- तिथि समाप्ति: 11 जून, 2025 को दोपहर 1:13 बजे तक
- अशुद्ध उदयादि पंचांग के अनुसार, व्रत 10 जून, मंगलवार को रखना सर्वोत्तम माना गया है
शुभ मुहूर्त
- ब्रह्म मुहूर्त: 04:02 – 04:42 सुबह
- स्नान व दान हेतु: 08:52 – 14:05 बजे
- गोधूली मुहूर्त: शाम 07:17 – 07:38 बजे
- चन्द्र उदय: शाम 06:45 (लगभग)
पूजा विधि
- प्रातः उठकर स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनें।
- सामूहिक या व्यक्तिगत पूजा के लिए बरगद (वट) वृक्ष के नीचे जाएँ।
- वृक्ष के बादलों में जल, दूध, चंदन, अक्षत, फूल आदि अर्पित करें
- कच्चा सूत या मौली 7, 11 या 21 बार लपेटकर परिक्रमा करें, भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा के साथ सावित्री-सत्यवान की कथा अवश्य सुनें/पढ़ें
दीप-धूप करें, मंत्र जाप करें—उदाहरण के लिए: कथा व पूजा पश्चात सात्विक भोजन ग्रहण कर व्रत खोलें। अगले दिन स्नान-दान और व्रत का पारण करना शुभ माना जाता है
वट पूर्णिमा और वट सावित्री में अंतर
- वट सावित्री: ज्येष्ठ अमावस्या (अमांत पंचांग) पर उत्तर भारत में
- वट पूर्णिमा: ज्येष्ठ पूर्णिमा (पूर्णिमांत पंचांग) पर दक्षिण व कुछ उत्तरी हिस्सों में मनाया जाता है
- लेकिन पूजा विधि, कथा और उद्देश्य (पति की लंबी आयु) समान हैं।
महत्व
- पति की दीर्घायु, स्वास्थ्य और वैवाहिक सुख अर्जित करने का इसे शुभ अवसर माना गया है
- वट वृक्ष सरसंघ (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) का प्रतीक होकर संतान सुख और सौभाग्य का स्रोत होता है
- कथा “सावित्री- सत्यवान” की प्रेरणा से इसे दृढ़ निश्चय और प्रेम-विवाह का उत्सव भी माना जाता है
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