हरियाली तीज 2025: पहली बार व्रत रख रहीं महिलाएं, जानें ये खास नियम और पूजा विधि

हरियाली तीज 2025 में रविवार, 27 जुलाई को मनाई जाएगी। यह श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को पड़ती है, जो 26 जुलाई की रात 10:41 बजे से शुरू होकर 27 जुलाई की रात 10:41 बजे तक रहेगी ।

हरियाली तीज व्रत के नियम :यदि आप पहली बार हरियाली तीज का व्रत रख रही हैं, तो निम्नलिखित नियमों का पालन करें:

1. उपवास विधि

  • निर्जल उपवास: यदि स्वास्थ्य अनुमति दे, तो निर्जल उपवास रखें। अन्यथा, फलाहार या जलाहार भी किया जा सकता है।
  • व्रत का संकल्प: उपवास का संकल्प सुबह सूर्योदय से पूर्व लें और संपूर्ण दिन व्रति नियमों का पालन करें।

2. पूजा विधि

  • स्नान और शुद्धता: प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • पूजा स्थल की सजावट: घर के पूजा स्थल को आम के पत्तों से सजाएं और एक चौकी पर गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, गणेशजी और माता पार्वती की मिट्टी से बनी प्रतिमाएं स्थापित करें।
  • श्रृंगार सामग्री: माता पार्वती को सिंदूर, चूड़ियां, बिछुआ, महावर, मेहंदी, काजल, चुनरी आदि अर्पित करें।
  • पूजन विधि: षोडशोपचार पूजन विधि से पूजा करें और तीज की कथा सुनें या पढ़ें।
  • रात्रि जागरण: पूजा रात्रि तक चलती है, जिसमें महिलाएं जागरण और भजन-कीर्तन करती हैं।

3. व्रत के दौरान आचार-व्यवहार

  • सच्चाई और संयम: व्रत के दौरान किसी भी प्रकार का झूठ बोलना, छल-कपट या दुर्व्यवहार नहीं करना चाहिए।
  • आहार: तामसिक भोजन का सेवन न करें।
  • वस्त्र चयन: हरे रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।

4. दान और उपहार

  • दान: व्रत के बाद किसी अन्य सुहागन महिला को सुहाग सामग्री का दान करें।
  • उपहार: मायके से आए वस्त्र और श्रृंगार सामग्री का उपयोग करें और सास या किसी वृद्ध महिला को सम्मानित करें।

हरियाली तीज की पूजा विधि (सामान्य मार्गदर्शन)

  • सुबह का समय: प्रातःकाल स्नान करके नए वस्त्र पहनें और व्रत का संकल्प लें।
  • पूजा सामग्री: केले के पत्ते, बेल पत्र, धतूरा, शमी के पत्ते, काले रंग की गीली मिट्टी, जनेऊ, धागा, नए वस्त्र, चूड़ियां, महावर, सिंदूर, बिछुआ, मेहंदी, काजल, चुनरी, नारियल, कलश, अबीर, चंदन, तेल, घी, कपूर, दही, चीनी, शहद, दूध और पंचामृत।
  • मंत्र जाप: विवाह संबंधी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए इस मंत्र का श्रद्धा पूर्वक 11 माला जाप करें:
  • "हे गौरीशंकर अर्धांगी, यथा त्वां शंकर प्रिया तथा माम कुरु कल्याणी, कान्ताकांता सुदुर्लभाम"

उपाय:

यदि दांपत्य जीवन में संतुलन की कमी है, तो निर्जला या फलाहार उपवास रखें, संपूर्ण श्रृंगार करके शिव मंदिर जाएं, शिवजी को इत्र और जल अर्पित करें, पार्वती जी को सिंदुर और चुनरी अर्पित करें, और "ऊं गौरीशंकराय नमः" का 108 बार जाप करें। अर्पित की गई चुनरी में 11 रुपये बांधकर हमेशा अपने पास रखें।

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