"जो एकादशी का व्रत न कर सकें, उनके लिए विशेष उपाय"

योगिनी एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित एकादशी है जो हर साल आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। यह विशेष एकादशी योग प्रदान करने वाली, पापों से मुक्त करने वाली और रोग-शोक नाशिनी मानी जाती है। इस साल (2025) योगिनी एकादशी का व्रत 21 जून 2025, शनिवार को रखा जाएगा। जिसका प्रारंभ: 21 जून 2025, सुबह 7:18 बजे होगा और समाप्त: 22 जून 2025, सुबह 4:27 बजे होगा. ऐसे में अगर आप किसी कारणवश एकादशी का व्रत नहीं कर सकते- जैसे स्वास्थ्य समस्याएं, उम्र, दवाइयों का सेवन या अन्य व्यावहारिक बाधाएं — तो चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। सनातन धर्म में भावना और निष्ठा को अत्यंत महत्व दिया गया है। यदि आप व्रत नहीं रख सकते, तो निम्न कार्य करके एकादशी व्रत के समान पुण्य फल प्राप्त कर सकते हैं:
1. एकादशी के दिन सात्विक जीवनशैली अपनाएं:
- प्याज, लहसुन, मांस-मदिरा, अंडा आदि तमसिक चीज़ों से दूर रहें।
- अनाज और दाल का त्याग करें, फलाहार करें।
- ब्रह्मचर्य का पालन करें और मन, वचन, कर्म से संयम रखें।
2. भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करें:
- प्रातःकाल स्नान कर के भगवान विष्णु को पीले पुष्प अर्पित करें।
- तुलसी पत्र के साथ विष्णु सहस्रनाम या ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें।
- दीपक जलाकर विष्णु पुराण या भगवद गीता का पाठ करें।
3. दान-पुण्य करें:
- गरीबों, जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र, अन्न या दक्षिणा का दान करें।
- गौ सेवा, अन्नदान या जलसेवा करें।
- ब्राह्मण भोजन कराना भी पुण्यदायी होता है।
4. भजन-कीर्तन और सत्संग करें:
- दिनभर भगवान का नाम स्मरण करें, भक्ति गीत गाएं।
- रात्रि में जागरण करें या श्रीहरि की कथा सुनें।
5. एकादशी की कथा सुनें या सुनाएं:
- व्रत की कथा श्रवण करने मात्र से भी पुण्य प्राप्त होता है।
- यदि संभव हो तो परिवार या मित्रों को एकत्र कर एकादशी व्रत कथा साझा करें।
6. उपवास के स्थान पर ‘मानसिक व्रत’ रखें
- अगर शारीरिक उपवास संभव नहीं है, तो मन, वचन और कर्म से संयम रखें।
- क्रोध, लोभ, छल, द्वेष आदि से दूर रहें।
यदि आप सच्ची श्रद्धा और भक्ति के साथ ऊपर बताए गए कार्य करते हैं, तो एकादशी व्रत न कर पाने के बावजूद आपको उसका पुण्य फल प्राप्त होता है। सनातन धर्म में भावना प्रधान होती है — “भावना से भगवान प्रसन्न होते हैं।”
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