बेलपत्र से होगी भोलेनाथ की कृपा, लेकिन पहले जान लें ये ज़रूरी नियम

सावन का महीना भगवान शिव की उपासना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस पवित्र महीने में श्रद्धालु शिवलिंग पर जल, दूध, धतूरा, बेलपत्र आदि चढ़ाकर शिवजी को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। बेलपत्र का विशेष महत्व है क्योंकि यह भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। हालांकि, बेलपत्र चढ़ाने के भी कुछ खास नियम होते हैं, जिन्हें जानना और पालन करना आवश्यक है। आइए जानें शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने के महत्वपूर्ण नियम:

 शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने के खास नियम
1. बेलपत्र ताजे और साफ होने चाहिए
बेलपत्र पर कोई कीड़ा, धूल या फटा हुआ हिस्सा नहीं होना चाहिए।अगर बेलपत्र थोड़ा भी खराब हो तो उसे शिवलिंग पर नहीं चढ़ाना चाहिए।

2. त्रिपत्र (तीन पत्तों वाला) बेलपत्र चढ़ाना श्रेष्ठ
शिवलिंग पर तीन पत्तों वाला बेलपत्र, जिसमें डंठल जुड़ा हो, चढ़ाना सबसे शुभ माना जाता है।यह त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) और त्रिगुण (सत्व, रज, तम) का प्रतीक माना जाता है।

3. बेलपत्र उल्टा न चढ़ाएं
बेलपत्र की चिकनी सतह (सामने की ओर) शिवलिंग की ओर होनी चाहिए, यानी पीछे की नसों वाली सतह ऊपर की ओर होनी चाहिए।

4. बेलपत्र पर नाम या लिखा न हो
कई बार लोग बेलपत्र पर ‘ॐ नम: शिवाय’ लिखते हैं, लेकिन शास्त्रों में यह वर्जित माना गया है।भगवान शिव को बेलपत्र उसकी प्राकृतिक अवस्था में ही चढ़ाना चाहिए।

5. किसी और के चढ़ाए बेलपत्र पुन: न चढ़ाएं
पहले से चढ़े हुए बेलपत्र दोबारा चढ़ाना वर्जित है, भले ही वे ताजे ही क्यों न हों।

6. बेलपत्र स्वयं तोड़ें या ब्राह्मण से लें
सबसे उत्तम माना जाता है कि बेलपत्र सूर्योदय से पहले स्वयं तोड़ें और भगवान को समर्पित करें।बेलपत्र तोड़ते समय "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करना चाहिए।

7. महिलाएं बेलपत्र तोड़ने से बचें
शास्त्रों में महिलाओं को बेलपत्र तोड़ने से मना किया गया है, हालांकि वे इसे शिवलिंग पर अर्पित कर सकती हैं।

सावन में बेलपत्र चढ़ाने के लाभ:
मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।पापों का नाश होता है।रोग और बाधाएं दूर होती हैं।
शिव कृपा से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।

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