"ग्रहण के पीछे के डरावने मिथक: दुनिया की 7 प्राचीन सभ्यताओं की रहस्यमय कहानियाँ!"

सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण को लेकर प्राचीन सभ्यताओं में अनेक रहस्यमय और हैरान कर देने वाली मान्यताएँ प्रचलित थीं। इन घटनाओं को केवल खगोलीय नहीं, बल्कि आध्यात्मिक, दैवीय और कभी-कभी अपशकुन के रूप में देखा जाता था। आइए जानते हैं 7 ऐसी मान्यताएँ जो विभिन्न सभ्यताओं में प्रचलित थीं:

1. राक्षस "राहु" और "केतु" (भारत)
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण का कारण राहु और केतु नामक असुर हैं। कथा के अनुसार, राहु अमृत पीते समय पकड़ा गया और भगवान विष्णु ने उसका सिर काट दिया। राहु का सिर चंद्रमा और सूर्य का बदला लेने के लिए उन्हें निगलता है, जिससे ग्रहण लगता है।

2. ड्रैगन द्वारा सूर्य निगलना (चीन)
प्राचीन चीन में सूर्य ग्रहण को एक विशाल ड्रैगन (龙 - लोंग) द्वारा सूर्य को निगलने की घटना माना जाता था। इसे रोकने के लिए लोग ढोल-नगाड़े बजाते थे और जोर-जोर से चिल्लाते थे ताकि ड्रैगन डर कर सूर्य को छोड़ दे।

3. दुष्ट कुत्ता स्कोल और हाती (नॉर्स माइथोलॉजी)
नॉर्स (वाइकिंग) सभ्यता में सूर्य और चंद्रमा को पीछा करने वाले दो दुष्ट भेड़िए, स्कोल और हाती के बारे में मान्यता थी। वे सूर्य और चंद्रमा को पकड़ कर खा जाने की कोशिश करते थे, जिससे ग्रहण होता है।

4. कछुए का ग्रहण कथा (वियतनाम)
वियतनामी लोककथाओं में सूर्य ग्रहण का कारण एक विशालकाय कछुआ माना जाता है जो सूर्य को निगल लेता है। लोग जोर-जोर से आवाजें करके और ढोल बजाकर कछुए को डराकर सूर्य को छोड़ने के लिए मजबूर करते थे।

5. जगुआर का हमला (माया सभ्यता)
माया सभ्यता में विश्वास था कि सूर्य ग्रहण के समय एक विशाल जगुआर (बाघ) आकाश में चढ़कर सूर्य और चंद्रमा पर हमला करता है। इसे रोकने के लिए विशेष पूजा और बलिदान किए जाते थे।

6. राजाओं के लिए अपशकुन (मेसोपोटामिया)
मेसोपोटामिया में सूर्य ग्रहण को राजाओं के लिए अशुभ संकेत माना जाता था। ग्रहण के दौरान राजा को छुपा दिया जाता था और उसके स्थान पर एक "नकली राजा" को बैठाया जाता था ताकि अनहोनी उससे टल जाए।

7. कपड़ा डालने की परंपरा (कोरिया)
कोरियाई लोककथाओं में सूर्य ग्रहण के समय ऐसा माना जाता था कि एक विशाल कुत्ता स्वर्ग में जाकर सूर्य को काट लेता है। इसे रोकने के लिए लोग मंदिरों में प्रार्थना करते और सूर्य को कपड़ा ओढ़ाते थे, ताकि वह सुरक्षित रहे।

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