श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2025: शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत नियम, जानें

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का पर्व है, जो भक्ति और आनंद के साथ मनाया जाता है। इस साल जन्माष्टमी शनिवार, 16 अगस्त 2025 को है। कई बार व्रत और पूजा की तैयारी 15 अगस्त की रात से शुरू होती है, क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मध्यरात्रि के समय हुआ था। आईये जानते है शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मध्यरात्रि पूजा और व्रत के नियम के बारे में-
शुभ मुहूर्त (2025)
- पूजा प्रारंभ: 16 अगस्त, रात 11:30 बजे के आसपास
- श्रीकृष्ण जन्म: लगभग मध्यरात्रि 12:00 बजे
- पूजा समाप्ति: प्रातः 4:00 बजे तक
इस समय दौरान घर में पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि, शांति और सकारात्मक ऊर्जा का आगमन होता है।
पूजा विधि
साफ-सफाई और सजावट:पूजा स्थल को अच्छे से साफ करें और फूल, दीपक तथा रंगोली से सजाएँ।
मूर्ति या चित्र स्थापना:भगवान श्रीकृष्ण की बाल मूर्ति या चित्र को पूजा स्थल पर रखें।
भोग और प्रसाद:मक्खन, पनीर, मिठाइयाँ, ताजे फल और दूध का भोग लगाएँ।
भजन और कीर्तन:“जय श्रीकृष्ण” और “गोविंद” के भजन-कीर्तन से वातावरण को भक्तिमय बनाएँ।
मध्यरात्रि पूजा:12 बजे भगवान को गोद में बैठाकर जन्मोत्सव मनाएँ और आरती करें।
प्रसाद वितरण:पूजा के बाद प्रसाद घर के सदस्यों और मेहमानों में बाँटें।
व्रत के नियम
- जन्माष्टमी के दिन फलाहार या निर्जल व्रत रखा जा सकता है।
- व्रत में संयम, भक्ति और साधु भाव का पालन करना चाहिए।
- उपवास तोड़ने के बाद हल्का भोजन करें और प्रसाद ग्रहण करें।
विशेष सुझाव
- पूजा स्थल पर मोर पंख रखना शुभ माना जाता है, क्योंकि श्रीकृष्ण के माथे पर मोर पंख के होने से घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है।
- घर को दीपों, फूलों और रंगोली से सजाएँ।
- बच्चों को भी जन्माष्टमी के भजन और कथा सुनाएँ, जिससे परिवार में उत्साह और भक्ति का माहौल बने।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2025 का पर्व भक्ति, आनंद और पारिवारिक सौहार्द का प्रतीक है। व्रत, पूजा और भजन-कीर्तन के माध्यम से इस पावन दिन को अधिक मंगलमय और यादगार बनाया जा सकता है।
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