JANMASHTMI SPECIAL: अंधकार में चमकी दिव्यता: भगवान श्रीकृष्ण का अद्भुत जन्म

मथुरा, भारत – भारतीय संस्कृति और धर्म के इतिहास में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म एक ऐसा अद्भुत और चमत्कारी घटना है, जिसे आज भी श्रद्धा और भक्ति के साथ याद किया जाता है। भगवान विष्णु के आठवें अवतार के रूप में जन्मे श्रीकृष्ण ने न केवल अधर्म और अत्याचार का नाश किया, बल्कि प्रेम और करुणा का अमूल्य संदेश भी मानवता को दिया।
जेल में जन्म: एक दिव्य घटना:कंस नामक अत्याचारी राजा ने अपनी बुआ कैलासिनी के सभी बच्चों को मार डालने का आदेश दिया था, क्योंकि उसे भविष्यवाणी मिली थी कि उसका भांजा उसे मार डालेगा। इसी भय के कारण माता देवकी और पिता वासुदेव जेल में कैद थे।
अद्भुत रूप से जन्मे कृष्ण का प्रकाश इतना तेज था कि जेल का अंधकार फैलते ही दिव्यता ने सभी को चकित कर दिया। जन्म के समय जेल के सभी दरवाजे अपने आप खुल गए और वासुदेव ने अपने नन्हें पुत्र को सुरक्षित गोकुल पहुँचाया। रास्ते में यमुना नदी ने स्वयं मार्ग खोलकर वासुदेव को सुरक्षित पार कराया।
जन्म का उद्देश्य:भगवान श्रीकृष्ण का जन्म केवल कंस का संहार करने के लिए नहीं था। उनका लक्ष्य था:
- अधर्म और अत्याचार का नाश
- धर्म और न्याय की स्थापना
- भक्तों की रक्षा और प्रेम का संदेश फैलाना
श्रीकृष्ण की यह दिव्य लीला आज भी भारतीय संस्कृति का आधार है और हमें यह सिखाती है कि चाहे अंधकार कितना भी घना हो, धर्म और सत्य का प्रकाश हमेशा उजागर होता है।
समापन
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म केवल एक धार्मिक कथा नहीं, बल्कि जीवन और आध्यात्मिकता का प्रतीक है। उनकी लीला, भक्ति और आदर्श आज भी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। यह कथा आज भी न केवल धार्मिक आस्था का स्रोत है, बल्कि भारतीय संस्कृति और सभ्यता की दिव्यता को भी दर्शाती है।
जगह-जगह उनकी जन्मकथा का उत्सव और जन्माष्टमी धूमधाम से मनाई जाती है, जो उनके जीवन के दिव्य संदेश को हर वर्ष जीवंत करती है।
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हमें यह सिखाता है कि अंधकार चाहे कितना भी घना हो, दिव्यता और धर्म का प्रकाश हमेशा उजागर होता है।
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