अजा एकादशी व्रत 2025 : खोया हुआ सब कुछ पाने का दिव्य उपाय

हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व माना गया है। वर्षभर में 24 एकादशियाँ आती हैं, जिनमें से प्रत्येक का अलग महत्व और फल बताया गया है। इन्हीं में से एक है अजा एकादशी, जिसे भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से समस्त पाप नष्ट होते हैं और मनुष्य को खोई हुई खुशियाँ तथा समृद्धि पुनः प्राप्त होती है। जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, नियम, महत्व और पौराणिक कथा- 

अजा एकादशी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

  • एकादशी तिथि प्रारंभ : 16 अगस्त 2025, शनिवार, दोपहर 1:52 बजे
  • एकादशी तिथि समाप्त : 17 अगस्त 2025, रविवार, दोपहर 11:39 बजे
  • व्रत व पूजा का दिन : 17 अगस्त 2025 (रविवार)
  • पारण (व्रत तोड़ने का समय) : 18 अगस्त 2025, प्रातः 06:02 से 08:28 बजे तक

अजा एकादशी व्रत की पूजा विधि

  • प्रातः स्नान कर स्वच्छ व वस्त्र पहनें।
  • व्रत का संकल्प लें और भगवान विष्णु की प्रतिमा/चित्र स्थापित करें।
  • दीपक जलाकर धूप, पुष्प, नैवेद्य और तुलसी पत्र से भगवान का पूजन करें।
  • विष्णु सहस्रनाम, गीता का पाठ या "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जप करें।
  • दिनभर व्रत रखें – फलाहार करें या निर्जल उपवास करें।
  • रात को जागरण कर हरिनाम संकीर्तन करें।
  • अगले दिन स्नान के बाद ब्राह्मण/जरूरतमंद को दान देकर व्रत का पारण करें।

व्रत के नियम

सात्त्विक आहार का पालन करें।
झूठ, क्रोध और निंदा से बचें।
ब्रह्मचर्य का पालन करें।
दान-पुण्य अवश्य करें।
पूजा व भजन-कीर्तन में मन लगाएँ।

अजा एकादशी का महत्व

पाप नष्ट होते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है।
मनुष्य के जीवन से दुख, दरिद्रता और बाधाएँ दूर होती हैं।
खोई हुई खुशियाँ और समृद्धि पुनः प्राप्त होती है।
व्रती को मोक्ष की प्राप्ति होती है और विष्णु लोक की प्राप्ति होती है।

 पौराणिक कथा

प्राचीन काल में सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र अपने वचन पालन के कारण कठिन परिस्थितियों में फँस गए थे। उन्हें पत्नी, पुत्र और राज्य सब कुछ खोना पड़ा और श्मशान में कार्य करना पड़ा।
उनकी दशा देखकर महर्षि गौतम ने उन्हें अजा एकादशी व्रत करने का उपदेश दिया। राजा ने विधिवत यह व्रत किया और इसके प्रभाव से उनके सारे कष्ट समाप्त हो गए। उन्हें अपना परिवार और राज्य पुनः प्राप्त हो गया।

इस कथा से स्पष्ट है कि अजा एकादशी व्रत जीवन में खोई हुई हर वस्तु वापस पाने का दिव्य उपाय है।

अजा एकादशी व्रत का पालन श्रद्धा और नियमों से करने पर जीवन में सुख-समृद्धि आती है। यह व्रत पापों का नाश कर मोक्ष प्रदान करता है और जीवन में खोया हुआ सब कुछ वापस दिला सकता है।

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