26 अगस्त 2025 हरतालिका तीज: जानें फुलेरा का महत्व और पूजा विधि

 

हरतालिका तीज 2025 इस बार मंगलवार, 26 अगस्त 2025 को मनाई जाएगी। सावन और भाद्रपद मास में आने वाला यह व्रत खास तौर पर सुहागिन स्त्रियों और अविवाहित कन्याओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन महिलाएँ निर्जला व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं और अखंड सौभाग्य, वैवाहिक सुख तथा पति की दीर्घायु की कामना करती हैं।

हरतालिका तीज की पूजा में फुलेरा (फूलों का विशेष गजरा या हार) का विशेष महत्व माना गया है। परंपरा के अनुसार इस दिन शिवलिंग पर फुलेरा बांधा जाता है। आइए जानते हैं, आखिर क्यों हरतालिका तीज पर शिवलिंग पर फुलेरा बांधा जाता है और इसका क्या धार्मिक महत्व है।

फुलेरा बांधने का महत्व
1. शिव–पार्वती विवाह का प्रतीक

हरतालिका तीज माता पार्वती के कठोर तप और भगवान शिव से उनके विवाह की कथा से जुड़ी है। फुलेरा को विवाह के मंगल आभूषण का प्रतीक माना जाता है। शिवलिंग पर फुलेरा बांधना भगवान शिव और माता पार्वती के पवित्र विवाह की स्मृति को जीवित करना है।

2. सौभाग्य और श्रृंगार का प्रतीक

यह व्रत मुख्य रूप से सुहागिन स्त्रियों का व्रत है। फुलेरा स्त्री के श्रृंगार और सौभाग्य का प्रतीक है। शिवलिंग पर फुलेरा अर्पित कर महिलाएँ अपने अखंड सुहाग और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं।

3. पवित्रता और सुगंध का महत्व

फूलों को शुद्धता, सकारात्मक ऊर्जा और देवताओं की प्रिय वस्तु माना गया है। फुलेरा बांधकर शिवलिंग को सजाने का अर्थ है भगवान को सुगंध और सौंदर्य अर्पित करना, जिससे जीवन में शांति और समृद्धि बनी रहे।

4. भक्ति और समर्पण का भाव

फुलेरा केवल पूजा की परंपरा ही नहीं, बल्कि भक्ति और समर्पण का प्रतीक है। इसे अर्पित करने से भक्त यह दर्शाते हैं कि वे अपने जीवन को भी भगवान की कृपा से मंगलमय और सुंदर बनाना चाहते हैं।

हरतालिका तीज 2025 पूजन विधि संक्षेप में

  • प्रातः स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
  • मिट्टी या रेत से भगवान शिव, माता पार्वती और गणेशजी की प्रतिमा बनाएं।
  • इन्हें जल, दूध, गंगाजल से स्नान कराएं और श्रृंगार करें।
  • बेलपत्र, धतूरा, फूल, फुलेरा, फल, मिठाई और सुहाग सामग्री अर्पित करें।
  • हरतालिका तीज की व्रत-कथा सुनें और रात्रि जागरण करें।
  • अगले दिन प्रातः पूजा-अर्चना के बाद व्रत का पारण करें।

हरतालिका तीज नारी शक्ति, भक्ति और समर्पण का पर्व है। इस दिन शिवलिंग पर फुलेरा बांधना शिव–पार्वती विवाह की स्मृति, सौभाग्य की प्राप्ति और वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। यही कारण है कि इस व्रत में फुलेरा का विशेष महत्व है और बिना इसके पूजा अधूरी मानी जाती है।

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