भगवान गणेश की संकष्टी चतुर्थी: 10 सितंबर 2025 का महत्व और पूजा विधि

हिंदू धर्म में गणेशजी को सभी विघ्नों के निवारक और मंगलकारी देवता माना जाता है। उनकी पूजा से जीवन की सभी बाधाएँ दूर होती हैं और सुख-समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है। इस वर्ष, विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी 10 सितंबर 2025 को मनाई जा रही है। यह दिन गणेश उत्सव के बाद भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इसी दिन भगवान गणेश की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
संकष्टी चतुर्थी क्यों खास है?
संकष्टी चतुर्थी प्रत्येक महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को आती है। इस दिन गणेशजी की विशेष पूजा की जाती है और व्रति पूरे दिन उपवास रखते हैं। इसे विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी इसलिए कहा जाता है क्योंकि गणेशजी के सामने आने के बाद जीवन में आने वाली सभी बाधाएँ और विघ्न दूर हो जाते हैं।
गणेश विसर्जन के बाद यह पहला अवसर होता है जब भक्त बप्पा की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। इस दिन व्रत करने और पूजा करने से अधूरी इच्छाएँ पूरी होती हैं और मानसिक शांति मिलती है।
पूजा का शुभ मुहूर्त
- चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 10 सितंबर 2025, दोपहर 3:37 बजे
- चतुर्थी तिथि समाप्ति: 11 सितंबर 2025, दोपहर 12:45 बजे
- चंद्रदर्शन समय: 10 सितंबर 2025, रात 8:34 बजे
व्रति चंद्रमा के दर्शन के बाद अपना उपवास समाप्त करते हैं। यही कारण है कि संकष्टी व्रत में चंद्रदर्शन का समय अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
पूजा विधि और सामग्री
व्रति सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं। पूजा के लिए निम्न सामग्री का प्रयोग किया जाता है:
- दूर्वा घास
- मोदक (भगवान गणेश का प्रिय व्यंजन)
- ताजे फल और फूल
- दीपक और अगरबत्ती
पूजा के दौरान व्रति संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा का श्रवण करते हैं। पूजा के अंत में भगवान गणेश को अर्घ्य देकर व्रत समाप्त किया जाता है।
दान और धार्मिक महत्व
इस दिन दान करने का विशेष महत्व है। दान करने से भगवान गणेश की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस दिन विशेष रूप से दान किए जाने वाले आइटम्स:
- सात प्रकार के अनाज (गेहूं, चना, दाल आदि)
- मोदक और मौसमी फल
- हरे या लाल वस्त्र
- पीतल या तांबे के बर्तन
- बच्चों को शिक्षा संबंधी सामग्री (किताब, कलम, कॉपी आदि)
- दान करने से व्यक्ति के जीवन में समृद्धि, खुशहाली और मानसिक संतोष आता है।
विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश की विशेष कृपा प्राप्त करने और जीवन की बाधाओं को दूर करने का श्रेष्ठ अवसर है। इस दिन विधिपूर्वक पूजा, व्रत और दान करने से भक्तों को सुख-समृद्धि, मनोवांछित फल और आंतरिक शांति प्राप्त होती है।
इस वर्ष 10 सितंबर को संकष्टी चतुर्थी के अवसर पर अपने परिवार के साथ गणेशजी की पूजा कर जीवन को आशीर्वाद से भर दें।
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