शरद पूर्णिमा 2025: मां लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा का महत्व

कोजागिरी पूर्णिमा, जिसे शरद पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है। यह आश्विन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है और इसे देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की विशेष पूजा का दिन माना जाता है। इस दिन चंद्रमा की पूजा का भी विशेष महत्व है, क्योंकि पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपनी 16 कलाओं के साथ पूर्ण प्रकाशित होता है, जिससे पृथ्वी पर अमृतमयी चांदनी की वर्षा होती है। मान्यता है कि इस रात मां लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं, इसलिए भक्त इस दिन विशेष रूप से उनकी पूजा-अर्चना करते हैं।

कोजागिरी पूर्णिमा 2025 की तिथि और मुहूर्त

  • दिनांक: सोमवार, 6 अक्टूबर 2025
  • पूर्णिमा तिथि: 6 अक्टूबर दोपहर 12:23 बजे से 7 अक्टूबर सुबह 9:16 बजे तक
  • निशिता काल (रात्रि पूजा मुहूर्त): रात 11:45 बजे से 12:34 बजे तक
  • चंद्रोदय: शाम 5:47 बजे
  • सोमवार होने के कारण इस दिन शिव पूजन का महत्व भी बढ़ जाता है।

पूजा विधि (Puja Vidhi)

  • कोजागिरी पूर्णिमा पर पूजा करने के लिए निम्नलिखित विधि अपनाई जाती है:
  • सुबह घर और पूजा स्थल की सफाई करें।
  • स्नान करके साफ कपड़े पहनें।
  • पूजा स्थल पर गंगाजल छिड़कें और घी का दीपक जलाएं।
  • पंचोपचार विधि से देवी-देवताओं को चंदन, फूल, दीपक, फल और नैवेद्य अर्पित करें।
  • मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा और आरती करें।
  • रात्रि में चंद्रमा उदित होने पर दूध-जल से अर्घ्य दें।
  • चांदनी में खीर रखें और अगली सुबह इसे प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें।

कोजागिरी पूर्णिमा के उपाय (Upay)

  • मानसिक शांति के लिए चंद्रोदय के बाद गंगाजल, सफेद फूल और शक्कर मिलाकर जल अर्पित करें।
  • मां लक्ष्मी को 11 कौड़ियां अर्पित करें → धन-संपत्ति में वृद्धि।
  • घर के मुख्य द्वार पर घी का दीपक जलाएं → घर में मां लक्ष्मी का आगमन।
  • संध्याकाल में तुलसी के पास घी का दीपक जलाएं → परिवार में सुख-समृद्धि।
  • चावल, दूध, शक्कर, केसर और मेवे से बनी खीर चंद्रमा की रोशनी में रखें।

कोजागिरी पूर्णिमा की विशेषता

  • पूर्णिमा की रात चंद्रमा पूर्ण प्रकाशित होकर पृथ्वी पर चांदनी वर्षा करता है।
  • इस रात मां लक्ष्मी का विशेष ध्यान किया जाता है।
  • यह दिन भगवान कृष्ण की महारास और भगवान शिव के गोपेश्वर रूप से भी जुड़ा हुआ है।

कोजागिरी पूर्णिमा न केवल एक धार्मिक त्यौहार है, बल्कि यह पूर्णिमा की चांदनी, फसल की भरपूरता और घर में समृद्धि का प्रतीक भी है। इस दिन श्रद्धा और भक्ति से पूजा करने से घर में धन, सुख और शांति बनी रहती है।

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