गुरु ग्रह का रत्न पुखराज: धन, शिक्षा और आत्मविश्वास का स्रोत- विधि और फायदे जानें
पुखराज, जिसे अंग्रेज़ी में Yellow Sapphire या Topaz कहा जाता है, ज्योतिष शास्त्र में गुरु ग्रह (बृहस्पति) का प्रतिनिधि रत्न माना गया है। यह रत्न ज्ञान, समृद्धि, आत्मविश्वास और सौभाग्य का प्रतीक है। सही समय और विधि से धारण करने पर पुखराज व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाता है — शिक्षा, करियर, विवाह और आर्थिक क्षेत्र में सफलता प्रदान करता है।
पुखराज का महत्व (Significance of Pukhraj)
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, गुरु ग्रह ज्ञान, धन, नैतिकता और अध्यात्म का प्रतीक है। पुखराज रत्न गुरु की ऊर्जा को अपने धारक तक पहुँचाता है, जिससे व्यक्ति के जीवन में संतुलन, बुद्धि और सकारात्मक सोच विकसित होती है।
पुखराज पहनने के प्रमुख लाभ:
- बुद्धि, ज्ञान और निर्णय क्षमता में वृद्धि
- करियर और व्यवसाय में प्रगति
- विवाह और पारिवारिक जीवन में सामंजस्य
- आर्थिक समृद्धि और स्थिरता
- मानसिक शांति और अध्यात्मिक उन्नति
कब और किसे पहनना चाहिए?
पुखराज धारण करने से पहले किसी अनुभवी ज्योतिषी से सलाह अवश्य लेनी चाहिए। कुंडली में गुरु ग्रह की स्थिति के अनुसार ही इसका प्रयोग शुभ माना जाता है।
- धनु (Sagittarius) और मीन (Pisces) लग्न के जातकों के लिए यह रत्न अत्यंत शुभ होता है, क्योंकि इन राशियों के स्वामी स्वयं बृहस्पति हैं।
- यदि गुरु कमज़ोर, अशुभ या प्रतिकूल भावों में स्थित हो, तो पुखराज धारण करने से लाभ मिलता है।
- जब गुरु वृषभ, सिंह, तुला, मकर या कुंभ राशि में गोचर कर रहा हो, तब पुखराज पहनना विशेष रूप से फलदायी होता है।
- ध्यान रखें — यदि गुरु षष्ठ (6th), अष्टम (8th) या द्वादश (12th) भाव में स्थित हो, तो केवल ज्योतिषी की सलाह से ही यह रत्न धारण करें।
पुखराज पहनने का शुभ समय
- दिन: गुरुवार (विशेषकर जब उस दिन पुष्य नक्षत्र हो)
- समय: सूर्योदय के समय या सुबह 9 बजे से पहले
मंत्र:
“ॐ बृं बृहस्पतये नमः”
इस मंत्र का 108 बार जाप करने के बाद ही रत्न धारण करें।
पुखराज पहनने की विधि
- धातु: सोना (Gold) सबसे शुभ माना गया है।
- आभूषण: अंगूठी या लॉकेट दोनों में जड़वाया जा सकता है।
- अंगुली: दाहिने हाथ की तर्जनी (Index Finger) में पहनें।
वजन: कम से कम 7 रत्ती (लगभग 6–7 कैरेट) होना चाहिए। 4 रत्ती से हल्का रत्न धारण करना अशुभ माना जाता है।
शुद्धिकरण: धारण करने से पहले पुखराज को गंगाजल या कच्चे दूध में कुछ समय के लिए डुबोकर शुद्ध करें, फिर साफ पानी से धो लें।
गुणवत्ता: रत्न शुद्ध, पारदर्शी और दोषरहित (Flawless) होना चाहिए।
आध्यात्मिक और मानसिक लाभ
पुखराज केवल भौतिक समृद्धि ही नहीं देता, बल्कि यह आध्यात्मिक जागरूकता को भी बढ़ाता है। इसे धारण करने से व्यक्ति की सोच संतुलित होती है, आत्मविश्वास बढ़ता है और मन की अशांति दूर होती है। विद्यार्थियों, अध्यापकों और ज्ञान की खोज में लगे लोगों के लिए यह रत्न अत्यंत उपयोगी माना गया है।
पुखराज रत्न जीवन में ज्ञान, आत्मविश्वास, सौभाग्य और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है। यह गुरु ग्रह की सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है और व्यक्ति को सही दिशा में आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। किन्तु इसे धारण करने से पहले ज्योतिषीय परामर्श लेना आवश्यक है, ताकि यह रत्न आपकी कुंडली के अनुसार संपूर्ण शुभ फल प्रदान कर सके।
सही समय, विधि और विश्वास के साथ धारण किया गया पुखराज रत्न सचमुच आपके जीवन में प्रकाश, सफलता और शांति का द्वार खोल सकता है।


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