नववर्ष 2026: राजा–मंत्री, रौद्र संवत 2083 के ग्रह योग और साल भर का प्रभाव”

हिंदू पंचांग के अनुसार विक्रम संवत 2083 की शुरुआत 19 मार्च 2026, गुरुवार से होगी। यह वर्ष रौद्र संवत्सर कहलाएगा और विशेष रूप से इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें अधिकमास होगा—यानी इस साल कुल 13 महीने रहेंगे। ज्योतिषीय गणना के आधार पर हर वर्ष की तरह इस साल भी राजा और मंत्री का चयन ग्रहों की चाल से होगा।

कैसे चुना जाता है नववर्ष का राजा और मंत्री?

हिंदू ज्योतिष में नववर्ष की प्रतिपदा तिथि के वार के आधार पर वर्षेश (राजा) का निर्धारण होता है। इस बार नववर्ष गुरुवार से शुरू हो रहा है, इसलिए इस वर्ष के राजा गुरु (बृहस्पति) होंगे।
वहीं मंत्री पद ग्रहों की विशेष चालों और वार–तिथि संयोग से तय होता है। 2026 में मंगल वर्ष के मंत्री होंगे।

इस प्रकार:

  • राजा – गुरु (बृहस्पति)
  • मंत्री – मंगल

2026 में ग्रहों की चाल का समग्र प्रभाव

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार 2026 परिवर्तन, उथल-पुथल और धार्मिक जागरण का मिश्रित वर्ष होगा। राजा और मंत्री दोनों ग्रहों की प्रवृत्ति एक-दूसरे से बिल्कुल भिन्न है—गुरु शांत, सौम्य और विकासकारी, जबकि मंगल उग्र, साहसिक और संघर्षकारी।
इसीलिए इस वर्ष शांति और अशांति—दोनों का मिश्रित प्रभाव देखने को मिल सकता है।

राजा गुरु (बृहस्पति) के प्रभाव

गुरु को धर्म, अध्यात्म, ज्ञान, नैतिकता, न्याय और शिक्षा का प्रतीक माना जाता है। राजा बनने पर इन क्षेत्रों में उन्नति के संकेत स्पष्ट हैं।

1. धार्मिक व आध्यात्मिक गतिविधियों में वृद्धि

– बड़े स्तर पर धार्मिक यात्राओं, पर्व–उत्सवों और आध्यात्मिक आयोजनों में बढ़ोतरी।
– लोगों में आस्था, कर्म और धर्म–संस्कारों के प्रति रुचि बढ़ेगी।

2. शिक्षा और ज्ञान की दिशा में प्रगति

– विद्यार्थियों के लिए प्रेरणादायक वर्ष।
– उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव संभव।

3. सामाजिक सुधार व न्याय व्यवस्था में सुधार

– सामाजिक जागरूकता बढ़ेगी और समाज में सुधार की नीतियों को बढ़ावा मिलेगा।
– न्याय से जुड़े फैसलों में पारदर्शिता और तेजी की संभावना।

 4. आर्थिक सुधार धीमे लेकिन स्थिर

– अचानक आर्थिक उछाल की बजाय स्थिर और दीर्घकालिक सुधार दिखने की संभावना।

सार: देश–दुनिया में नैतिकता, अध्यात्म और ज्ञान का प्रभाव मजबूत रहेगा और गुरु अपनी सौम्यता से वर्ष को सकारात्मक दिशा देने का प्रयास करेंगे।

मंत्री मंगल के प्रभाव

मंगल एक अग्नि तत्व का ग्रह है जो ऊर्जा, साहस, सेना, युद्ध, राजनीति और भूमि का कारक है। मंत्री बनने पर इसकी उग्रता पूरे वर्ष में प्रमुख रूप से सक्रिय रहेगी।

1. राजनीतिक उथल-पुथल की संभावना

– सत्ता परिवर्तन, बड़े राजनीतिक उतार-चढ़ाव और महत्वपूर्ण निर्णय संभव।
– कई देशों में नेतृत्व स्तर पर बड़े बदलाव दिख सकते हैं।

 2. देशों के बीच तनाव व संघर्ष

– अंतरराष्ट्रीय स्तर पर युद्ध, टकराव या सीमावर्ती तनाव बढ़ने की आशंका।
– सैन्य गतिविधियों और सुरक्षा बलों की भूमिका बढ़ेगी।

3. मौसम में उग्र परिवर्तन

– असामान्य गर्मी, सूखा या अग्निकांड जैसी स्थितियाँ।
– कुछ क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं की संभावना।

4. उद्योग–व्यापार में ऊर्जा क्षेत्र का विस्तार

– पेट्रोलियम, ऊर्जा, लौह–उद्योग, रक्षा–सेना और निर्माण क्षेत्र में तेजी।

सार: मंगल की उग्रता 2026 को एक चुनौतीपूर्ण वर्ष भी बनाती है—जहाँ साहस, संघर्ष और ऊर्जा से जुड़े घटनाक्रम बढ़ सकते हैं।

 2026: वर्ष का संयुक्त प्रभाव (गुरु + मंगल)
 जहाँ गुरु सौहार्द, ज्ञान, धर्म और प्रगति लाएंगे,
 वहीं मंगल राजनीति, युद्ध, उथल-पुथल और साहस को बढ़ाएगा।

संयुक्त परिणाम:

  • धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों में वृद्धि
  • शिक्षा और सामाजिक सुधार में प्रगति
  • शासन में बड़े परिवर्तन
  • देशों के बीच बढ़ती तनातनी
  • मौसम में असामान्य परिवर्तन
  • रक्षा व ऊर्जा क्षेत्र को बढ़ावा
  • आर्थिक स्थिति सामान्य लेकिन स्थिर

नववर्ष 2026 एक ऐसा वर्ष है जो आध्यात्मिक उन्नति और राजनीतिक–वैश्विक चुनौतियों दोनों का मिश्रण लेकर आएगा।गुरु के सकारात्मक प्रभाव से कई क्षेत्रों में विकास होगा, वहीं मंगल की उग्रता दुनिया को कई महत्वपूर्ण परिस्थितियों से गुजरने पर विवश कर सकती है।
यह वर्ष धैर्य, विवेक, साहस और आध्यात्मिक संतुलन के साथ आगे बढ़ने का संदेश देता है।

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