अजमेर शरीफ उर्स 2025: ख्वाजा गरीब नवाज का 814वां उर्स, आज से होगा आगाज़

राजस्थान के अजमेर शहर में स्थित विश्व प्रसिद्ध अजमेर शरीफ दरगाह हर साल सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती (ख्वाजा गरीब नवाज) के उर्स के अवसर पर आस्था और रूहानियत का केंद्र बन जाती है। उर्स ख्वाजा साहब की पुण्यतिथि के रूप में मनाया जाता है, जिसमें जाति-धर्म से ऊपर उठकर लाखों श्रद्धालु और जायरीन शिरकत करते हैं।

अजमेर शरीफ उर्स 2025 की तारीख

साल 2025 में अजमेर शरीफ में 814वां उर्स मनाया जाएगा। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार उर्स रजब माह में आयोजित होता है और चांद दिखने के बाद इसकी शुरुआत होती है।

  • उर्स की शुरुआत: 17 दिसंबर 2025
  • उर्स का समापन: 30 दिसंबर 2025

यदि किसी कारण रजब का चांद नजर नहीं आता है, तो अगले दिन से उर्स की रस्में शुरू होती हैं और यह लगातार छह दिनों तक चलती हैं। छठे दिन को उर्स-ए-छठी शरीफ कहा जाता है, जिसका विशेष महत्व होता है।

परचम कुशाई की रस्म

उर्स की औपचारिक शुरुआत परचम कुशाई (झंडा चढ़ाने) की रस्म से होती है। यह रस्म अजमेर शरीफ के बुलंद दरवाजे पर अदा की जाती है। परंपरा के अनुसार यह जिम्मेदारी भीलवाड़ा के गौरी परिवार निभाता आ रहा है। वर्ष 1944 से अब तक लगातार यही परिवार उर्स के दौरान झंडा चढ़ाने की रस्म अदा करता है।

उर्स के दौरान होने वाली रस्में

उर्स के दिनों में अजमेर शरीफ में रूहानी माहौल देखने को मिलता है। देश-विदेश से आए जायरीन ख्वाजा गरीब नवाज की बारगाह में हाजिरी लगाते हैं और विभिन्न धार्मिक रस्मों में शामिल होते हैं, जैसे—

  • महफिल-ए-समाअ और कव्वाली
  • जिक्र और खास दुआएं
  • चादर पेश करने की रस्म
  • लंगर का आयोजन
  • मन्नत और किस्मती दुआएं

इन दिनों दरगाह पूरी रात रौशनी, इबादत और सूफियाना रंग में डूबी रहती है।

कब खुलेगा जन्नती दरवाजा

उर्स के मौके पर सबसे खास आकर्षण होता है जन्नती दरवाजा। यह दरवाजा साल में सिर्फ एक बार, उर्स के दौरान ही खोला जाता है।

संभावित तारीख: 21 दिसंबर 2025 (चांद रात की रस्म के बाद)

अगर उस दिन चांद नजर नहीं आता, तो 22 दिसंबर 2025 को जन्नती दरवाजा खोला जाएगा

जन्नती दरवाजा पूरे छह दिनों तक जायरीनों के लिए खुला रहता है। मान्यता है कि इस दरवाजे से गुजरने से दुआएं कबूल होती हैं और इंसान को रूहानी बरकत नसीब होती है। इसी विश्वास के चलते लाखों लोग इस खास मौके का इंतजार करते हैं।

आस्था और भाईचारे का प्रतीक

अजमेर शरीफ का उर्स सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि इंसानियत, मोहब्बत और भाईचारे का संदेश देने वाला पर्व है। ख्वाजा गरीब नवाज की शिक्षाएं आज भी लोगों को प्रेम, सेवा और सद्भाव की राह दिखाती हैं।

814वां अजमेर शरीफ उर्स 2025 एक बार फिर श्रद्धा, विश्वास और सूफी परंपरा की अद्भुत मिसाल पेश करेगा।

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