'दागी' अतिथि शिक्षक विनोद दुबे इन्टरव्यू में फेल हुआ तो एमसीयू को बदनाम करने लगा

रीवा : एमसीयू परिसर की व्यवस्था पटरी पर लौटी,छात्र छात्राए पत्रकारिता के नवाचार से जुड़ रहे हैं।माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (एमसीयू) के रीवा परिसर में नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत इस बार सख्त फैसलों और पारदर्शिता के साथ हुई है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने साफ कर दिया है कि अनुशासनहीनता, पक्षपात और अनियमितताओं को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसी क्रम में विवादों से घिरे अतिथि शिक्षक विनोद दुबे को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। इस बार भोपाल परिसर में आयोजित इंटरव्यू में दुबे न केवल असफल रहे, बल्कि बाद में प्रबंधन पर बेबुनियाद आरोप लगाकर विश्वविद्यालय की छवि धूमिल करने का प्रयास करने लगे।

पारदर्शी इंटरव्यू और सख्त फैसले

सूत्रों के अनुसार, इस बार कुलगुरु की पहल पर भोपाल एमसीयू परिसर में साक्षात्कार हेतु एक विशेष बोर्ड गठित किया गया। इंटरव्यू प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी बनाने के लिए सभी प्रतिभागियों के जवाबों की वीडियो रिकॉर्डिंग की गई। चयन समिति ने योग्यता, अनुभव और छात्रों के बीच स्वीकार्यता जैसे मानदंडों को आधार बनाया। जब विनोद दुबे से सवाल पूछे गए तो वे उत्तर नहीं दे पाए और असफल रहे। जिसके बाद उनकी कमजोरियां सामने आते ही समिति ने उन्हें चयन सूची से बाहर कर दिया।गौरतलब है कि दुबे लंबे समय से विवादों के घेरे में रहे हैं। उन पर छात्रों से अभद्र भाषा में बात करने, अनावश्यक दबाव बनाने, आर्थिक लेन-देन करने और यहां तक कि मोबाइल चोरी तक के गंभीर आरोप लगे। कई शिकायतें विश्वविद्यालय प्रशासन तक पहुंचीं, किंतु वर्षों तक ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी। इस बार प्रबंधन ने नए सत्र की शुरुआत में ही निर्णायक कदम उठाकर यह संकेत दिया कि अब दागदार चेहरों को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

कक्षा और परीक्षा व्यवस्था पटरी पर

प्रबंधन के इस सख्त फैसले का असर परिसर में साफ देखा जा रहा है। छात्रों का कहना है कि कक्षा और परीक्षा की व्यवस्था अब पटरी पर लौट आई है। शिक्षण का माहौल पहले से अधिक सकारात्मक हुआ है और उन्हें पत्रकारिता शिक्षा के नवाचारों से जुड़ने का अवसर मिल रहा है। एक छात्र ने कहा: पुराने विवादित शिक्षकों की मौजूदगी से पढ़ाई पर असर पड़ता था, अब माहौल बेहतर है और हम निश्चिंत होकर पढ़ाई कर सकते हैं।नई नियुक्तियों ने छात्रों और अभिभावकों में विश्वास की भावना बढ़ाई है। यूजीसी मानकों का पालन करते हुए नियुक्त किए गए नए शिक्षकों से पढ़ाई की गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद की जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यही परंपरा आगे भी जारी रही, तो एमसीयू अपनी खोई हुई साख को पुनः हासिल कर लेगा।नए सत्र की शुरुआत में ही पारदर्शी इंटरव्यू और कठोर रुख अपनाकर विश्वविद्यालय ने अनुशासन और गुणवत्ता के प्रति अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं। विनोद दुबे जैसे विवादित चेहरों को हटाकर एमसीयू ने न केवल शुचिता और पारदर्शिता का उदाहरण प्रस्तुत किया है, बल्कि छात्रों के बीच विश्वास और सकारात्मक माहौल बनाने की दिशा में भी ऐतिहासिक कदम बढ़ाया है।

रिपोर्टर : अर्जुन तिवारी

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