मोदी सरकार में RSS और कितना मजबूत हुआ?

केंद्रीय राजनीति में इस वक्त जितना नाम बीजेपी का लिया जाता है ..उतना ही नाम आरएसएस का भी लिया जाता है .. दोनों में  प्रेम और एकता यहां तक कि विवाद की खबरें भी सामने आती है ...साल 1925 में नागपुर के एक छोटे से मैदान में पांच लोगों ने एक सपना देखा था ,  एक ऐसा संगठन बनाने का , जो देश के हर कोने में भारतीय संस्कृति और राष्ट्रभक्ति की भावना को मजबूत करेगा। केशव बलिराम हेडगेवार की उस सोच ने आज एक सदी का मुकाम छू लिया है।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने अपने 100 साल पूरे कर लिए हैं। एक शाखा से शुरू हुआ यह सफर आज 51710 स्थानों तक पहुँच चुका है..लेकिन RSS और बीजेपी के साथ पर उठते सवालों के बीच क्या आप जानते हैं , क्रेंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद संगठन में क्या कुछ बदला, संगठन कितना मजबूत बना ..तो चलिए आज आपको बताते कि मोदी सरकार में ये संगठन और कितना मजबूत हुआ .. 

साल 2013 को संघ के इतिहास में एक टर्निंग पॉइंट के तौर पर देखा जा सकता है। अगर 2013 में संघ की 42981 शाखाएं थीं, तो 2025 में यह संख्या दोगुनी होकर 83129 हो गई है। यानी पिछले 11 सालों में हर दिन औसतन 10 नई शाखाएं खुलीं! कैसे चलिए वो भी बताते हैं - 

उत्तर प्रदेश सबसे आगे है – लगभग 8000 शाखाएं नई बनी 

इसके बाद केरल में 5142 और महाराष्ट्र में 4000 शाखाएं नई बनी 

मध्य प्रदेश में 1453 और गुजरात में 1000 शाखाएं नई बनी 

जो राज्य कभी संघ के लिए ‘अनछूए’ माने जाते थे, आज वहाँ शाखाएं न केवल संचालित हो रही हैं, बल्कि प्रभावी भी हैं।
1998 में जब अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी, संघ की शाखाएं 30 हजार के करीब थीं। 2004 तक यह संख्या 39 हजार तक पहुँची, लेकिन उसके बाद सरकार के बदलने से रफ्तार धीमी पड़ी।2004 से 2013 के बीच नौ सालों में केवल 3000 शाखाओं की बढ़ोतरी हो सकी।लेकिन 2014 के बाद जैसे किसी ने एक्सेलेरेटर दबा दिया हो। पिछले एक दशक में संघ का कुनबा तेज़ी से फैला और आज यह एक अभूतपूर्व ऊँचाई पर है।अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर मोदी सरकार के 2013 में आने के बाद ऐसा क्या बदल की संघ के विस्तार में उछाल आ गया ..चलिए ये भी बताते हैं , 

1. मोदी सरकार के साथ संघ के बड़े नेता खुलेआम सामने आए। मीडिया और मंचों पर साफ-साफ अपनी बात रखी, जिससे संघ का नया दमदार और युवा-सुलभ नैरेटिव बना।

2. फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब पर संघ की मौजूदगी भारी हुई। 2013 में 1500 से शुरू हुआ ऑनलाइन जुड़ाव अब लाखों में पहुंच चुका है।

3.केरल-बंगाल जैसे खतरनाक इलाकों में सुरक्षा मिली, जिससे कार्यकर्ता बेखौफ बढ़े और संगठन को ताकत मिली।

4. हाशिए के समुदायों से संपर्क बढ़ा। झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा में विशेष अभियान हुए, जो संघ की पहुंच को नई ऊंचाई पर ले गए।

देखा जाए तो संघ की शाखा सिर्फ फिजिकल ट्रेनिंग नहीं, बल्कि संस्कार और विचारों का केंद्र है। नागपुर में बोया बीज अब देशभर में गहरी जड़ें जमा चुका है।RSS अब सिर्फ संगठन नहीं, देश की धड़कन बन चुका है —  जो बीज नागपुर में बोया था, वह अब पूरे भारत में संस्कारों और संस्कृतियों का विशाल वृक्ष बन चुका है। मोदी सरकार के मजबूत नेतृत्व और आरएसएस की संगठित ताकत ने मिलकर भारत के समाज और राजनीति का नक्शा बदल दिया है। जहां पीएम मोदी ने राजनीतिक मैदान संभाला, वहीं आरएसएस ने विचारों और संगठन की गहराई से देश की बुनियाद मजबूत की। यही वजह है कि 2013 के बाद संघ ने जो तेज़ी से विस्तार किया, वह केवल संगठन की शक्ति नहीं बल्कि देश की बदलती मानसिकता का आईना है। मोदी और संघ की जोड़ी अब भारत के विकास और संस्कारों का नया अध्याय लिख रही है — जिसका असर आने वाले दशक तक महसूस होगा .. 

 

 

 

 

 

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