पाइल्स के मरीजो के लिए सायरा हॉस्पिटल एंड पाइल्स सेंटर लखनऊ है वरदान

पाइल्स के मरीजो के लिए सायरा हॉस्पिटल एंड पाइल्स सेंटर लखनऊ है वरदान
मानव जीवन में तमाम तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है पर अगर मानव शरीर की शारीरिक समस्याओं की बात करें तो कई बीमारियां ऐसी भी होती हैं जिनका इलाज सरल तो है पर दुर्लभ भी है क्योंकि अगर ठीक अनुभवी और योग्य चिकित्सक से इलाज कराया तो वो बीमारी ठीक हो जाती है पर अगर गलत चिकित्सक की राह पकड़ ली तो बड़ी दिक्कतों के साथ जान भी जा सकती है। जी हाँ आज हम बात करने जा रहे हैं गुदा मार्ग से सम्बंधित बीमारियों यानि पाइल्स, फिशर और फिस्टुला की और इन बड़ी बीमारियों पर बात करने के लिए हमारे साथ मौजूद हैं उत्तर प्रदेश के जाने माने पाइल्स रोग विशेषज्ञ, क्षार सूत्र विधि में महारत रखने वाले और सायरा हॉस्पिटल एंड पाइल्स सेण्टर लखनऊ के डायरेक्टर डॉ मोहम्मद शफ़ीक़
आजकल पाइल्स, फिशर और फिस्टुला की समस्यायें आम हो गयी हैं? आखिर क्या हैं ये बीमारियाँ?
इस सवाल का जबाव देते हुए उत्तर प्रदेश के जाने माने पाइल्स रोग विशेषज्ञ, क्षार सूत्र विधि में महारत रखने वाले और सायरा हॉस्पिटल एंड पाइल्स सेण्टर लखनऊ के डायरेक्टर डॉ मोहम्मद शफ़ीक़ ने कहा कि देखिये अगर व्यक्ति कब्जियत से परेशान है, बार-बार उसको लैट्रिन स्टूल टाइट आ रहा है या बार-बार लैट्रिन की फीलिंग आ रही है व्यक्ति को लगातार कब्जियत या हाइपरजेलेटिव गैस्ट्राइटिस हो रहा है तो उस मामले में उसको आगे चलकर पाइल्स, फिशर या फिस्टुला होना तय है।
देखिए पाइल्स क्या है? पाइल्स होगा तो गुदा मार्ग से से ब्लीडिंग तो होगी लेकिन दर्द नहीं होगा। खून आएगा लेकिन उसमें दर्द नहीं होगा, तो ये हुआ आपका पाइल्स।
अब अगर ब्लीडिंग भी हो रही है हल्की-फुल्की और दर्द भी बहुत हो रहा है, तो उस केस को फिशर कहते हैं।
और अगर लैट्रिन का रास्ता यानि गुदा मार्ग में दरारें पड़ जाती हैं या क्रैक हो जाता है। लेकिन अगर वहां से मवाद या पस आने लगा तो उस केस को फिस्टुला यानि भगन्दर बोला जाता है। भगन्दर यानि फिस्टुला भी कई प्रकार के होते हैं जैसे कभी एक से दो, दो से तीन, तीन से चार फोड़े गुदा मार्ग पर हो जाते हैं। जो कभी कभी स्क्रोटम की तरफ बढ़ते चले जाते हैं जिसे स्क्रोटल फिस्टुला कहते हैं।
पाइल्स, फिशर और फिस्टुला में सबसे खतरनाक और नुकसानदेह कौन सी बीमारी है?
इस सवाल का जबाव देते हुए उत्तर प्रदेश के जाने माने पाइल्स रोग विशेषज्ञ, क्षार सूत्र विधि में महारत रखने वाले और सायरा हॉस्पिटल एंड पाइल्स सेण्टर लखनऊ के डायरेक्टर डॉ मोहम्मद शफ़ीक़ ने बताया कि सबसे खतरनाक फिशर होता है। अगर हाई एनल फिशर बन गया और अगर वो रेक्टम यानि गुदा मार्ग तक पहुंच गया तो उसको सही करना बहुत टेढ़ी खीर होती है। हम लोगों की टेक्निक में क्या होता है, छार का इस्तेमाल करते हैं। स्टर्नल ओपनिंग से एंट्री किए और स्टर्नल से यहां के रेक्टम से निकले और हफ्ते-हफ्ते थ्रेड चेंज करते अंदर से हीलिंग होता चला आता है। धीरे-धीरे प्रॉब्लम सॉल्व हो जाती है। अगर इसमें जरा सा चूक गया तो स्प्रिंटर कटने का संभावना होती है। इसलिए हम लोग छार का ही इस्तेमाल करते हैं ताकि स्प्रिंटर भी न कटे और हमारी बीमारी भी सही हो जाए।
फिशर के मुख्य लक्षण क्या होते हैं?
इस सवाल का जबाव देते हुए उत्तर प्रदेश के जाने माने पाइल्स रोग विशेषज्ञ, क्षार सूत्र विधि में महारत रखने वाले और सायरा हॉस्पिटल एंड पाइल्स सेण्टर लखनऊ के डायरेक्टर डॉ मोहम्मद शफ़ीक़ ने बताया कि इसके शुरुआती लक्षण क्रैकिंग होगी,लैट्रिन के रास्ते में बर्निंग यानि जलन होगी ऐसा लगेगा कि मतलब कि लाल मिर्च खा ली इसलिए ऐसा हो रहा है। ऐसा नहीं होता है। अगर क्रैकिंग है तभी आपको जलन होगी और ब्लीडिंग तभी होगी जब ज्यादा क्रैक हो जाएगा।
क्या कई बार ऐसा भी होता है कि लोगों को पाइल्स होता है और अपने आप ठीक हो जाता है?
इस सवाल का जबाव देते हुए उत्तर प्रदेश के जाने माने पाइल्स रोग विशेषज्ञ, क्षार सूत्र विधि में महारत रखने वाले और सायरा हॉस्पिटल एंड पाइल्स सेण्टर लखनऊ के डायरेक्टर डॉ मोहम्मद शफ़ीक़ ने बताया कि अगर वो स्टार्टिंग फेज यानि शुरूआती चरण में है कब्ज हुई स्टूल टाइट आ रहा है और फिर कोई लैक्सेटिव या अन्य सीरप ले लिया, स्टूल पतला होने लगा, दबाव नहीं पड़ा, तो अपने आप ही पाइल्स सही हो जाता है। फर्स्ट ग्रेड, सेकंड ग्रेड के पाइल्स हम लोग दवा से ही सही करते हैं। और अगर क्रैकिंग सीधी-सीधी है तो उस केस में हम 15 दिन की दवा से ही सही करते हैं। लेकिन अगर फिशर बन गया, इसमें दवा से कोई इलाज नहीं है। उसको ऑपरेशन ही करना पड़ता है।
क्या लोग अपने खुद डॉक्टर बन जाते हैं, घरेलू उपचार खुद करने लगते हैं? क्या लाभ होता है?
इस सवाल का जबाव देते हुए उत्तर प्रदेश के जाने माने पाइल्स रोग विशेषज्ञ, क्षार सूत्र विधि में महारत रखने वाले और सायरा हॉस्पिटल एंड पाइल्स सेण्टर लखनऊ के डायरेक्टर डॉ मोहम्मद शफ़ीक़ ने बताया कि देखिये मैंने आपको पहले ही बताया कि अगर शुरूआती चरण में है तो उसका उपचार केवल पेट साफ रखकर भी किया जा सकता है। पर अगर ये शुरूआती चरण से आगे बढ़ते हुए फिशर में तब्दील हो गया तो फिर घरेलू उपचार, कोई भी जड़ी बूटी खा ले, फिर ये खत्म नहीं होता है। अगर यही पाइल्स में ग्रेड थर्ड हो गया, फोर्थ हो गया, तो कोई भी दवा कोई भी जड़ी बूटी खा लीजिए नहीं सही होगा। फिशर अगर ट्रायंगल शेप में फट गया, सेंटिनल ट्रैक बाहर बन गया, एक्सटर्नल पाइल्स बाहर बन गए, तो उस केस में भी दवा से सही नहीं होना है। उसको ऑपरेट करना ही पड़ेगा।
सुनने में आता है कि जब पाइल्स, ज्यादा हो जाता है या फिशर बड़ा हो जाता है तो सही उपचार न होने पर मृत्यु भी हो जाती है?
उत्तर प्रदेश के जाने माने पाइल्स रोग विशेषज्ञ, क्षार सूत्र विधि में महारत रखने वाले और सायरा हॉस्पिटल एंड पाइल्स सेण्टर लखनऊ के डायरेक्टर डॉ मोहम्मद शफ़ीक़ ने बताया कि अगर ब्लीडिंग ज्यादा हो गयी, मस्सा रप्चर्ड हो गया, हाई ब्लीडिंग हो गई, हीमोग्लोबिन तीन-चार के पास पहुंच गया और उसको कंट्रोल नहीं किया गया ,समय से सही इलाज नहीं किया गया खून गिरता ही रहा, तो उसमें मृत्यु होने की संभावना है।
उपचार क्या है? तमाम तरीकों से लोग उपचार करते हैं। आखिर में इसका सटीक उपचार क्या है?
उत्तर प्रदेश के जाने माने पाइल्स रोग विशेषज्ञ, क्षार सूत्र विधि में महारत रखने वाले और सायरा हॉस्पिटल एंड पाइल्स सेण्टर लखनऊ के डायरेक्टर डॉ मोहम्मद शफ़ीक़ ने बताया कि देखिये इसका सबसे सटीक और प्रमाणित उपचार क्षार सूत्र विधि से ही संभव है क्षार सूत्र विधि सबसे अच्छी और पुरानी चिकित्सा पद्धति है। क्षार सूत्र विधि की उत्पति अपने देश के बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में हुई थी। और आज इस वक्त क्षार सूत्र विधि पूरे विश्व में फैल चुका है और इसमें पहले जब क्षार सूत्र विधि के इलाज में में सिर्फ शुद्ध रूप से क्षार सूत्र विधि का उपयोग किया जाता था तो दर्द बहुत बहुत हुआ करता था। लेकिन अब एडवांस टेक्नोलॉजी है क्षार सूत्र विधि में लेजर तकनीक भी जोड़ दी गयी सेंट्रल टैग हटाना हुआ, लेजर से हट गया। मस्से को चारों तरफ से लेजर की थेरेपी दी गई और पाइल्स को क्षार सूत्र विधि से हटा दिया गया तो दर्द भी कम होता है और प्रॉब्लम रिपीट भी नहीं होती। हमेशा के लिए समस्या खत्म हो जाती है। पर अगर मस्सा, पाइल्स, फिशर इस चीज को सही करने के बाद अगर आपने कब्ज की समस्या का समाधान नहीं किया तो समस्या दोबारा फिर हो सकती है। इसलिए कब्जियत का सही होना बहुत जरूरी है। यानि ऑपरेट करने के बाद भी आपको कब्जियत का इलाज करना पड़ेगा?
क्षार सूत्र विधि और लेज़र तकनीक से उपचार कितना महंगा है?
उत्तर प्रदेश के जाने माने पाइल्स रोग विशेषज्ञ, क्षार सूत्र विधि में महारत रखने वाले और सायरा हॉस्पिटल एंड पाइल्स सेण्टर लखनऊ के डायरेक्टर डॉ मोहम्मद शफ़ीक़ ने बताया कि देखिये इसका उपचार बहुत ही सस्ता है। ऐसा कुछ नहीं है मार्केट में लेजर के नाम पर लोग सत्तर हजार, नब्बे हजार, एक लाख, सवा लाख तक ले रहे हैं। और हम अपने यहाँ यानि अपने हॉस्पिटल सायरा हॉस्पिटल एंड पाइल्स सेण्टर में इसी अपने यहां तो यही क्षार सूत्र विधि से उपचार का सिर्फ अठारह हजार रूपये लेते हैं। और क्षार सूत्र विधि के साथ साथ उसमे लेजर तकनीक का उपयोग भी किया गया, उस केस में 25000 रुपये लेते हैं। और सबसे बड़ी बात पेशेंट तुरंत ऑपरेशन कराने के बाद चल कर अपने घर जाता है। सारा काम-धाम करता है और उसको एडमिट होने की जरूरत नहीं है। बेड-बेड रेस्ट करने की जरूरत नहीं है। काम-धाम भी करता रहा, इलाज भी चलता रहेगा और यही समस्या एलोपैथ मतलब एलोपैथ में होगी तो उसको स्टेचिंग कर दी गई उसको एनेस्थीसिया दिया गया। चौबीस घंटे-घंटे बाद एनेस्थीसिया का असर हटा। फिर उसको जल्दी से जल्दी ठीक करने के लिए एंटीबॉडी दे दी जाती है। लेकिन इस दशा में कई बार दोबारा समस्या हो जाती है तो पेशेंट इससे ज्यादा परेशान होता है तो एलोपैथ तकनीक से इलाज कराने से बेहतर आयुर्वेदिक पद्धति से जुडी क्षार सूत्र विधि ज्यादा बेहतर है।
बेहतर तकनीक कौन सी मानेंगे? एलोपैथ मानेंगे या क्षार सूत्र विधि से?
उत्तर प्रदेश के जाने माने पाइल्स रोग विशेषज्ञ, क्षार सूत्र विधि में महारत रखने वाले और सायरा हॉस्पिटल एंड पाइल्स सेण्टर लखनऊ के डायरेक्टर डॉ मोहम्मद शफ़ीक़ ने बताया कि कहने के देखिए लोग सब कह रहे हैं। एलोपैथ वाले भी कह रहे हैं कि हम क्षार सूत्र कर रहे हैं और बंगाली तकनीक से करने वाले बंगाली डॉक्टर भी कह रहे हैं हम पाइल्स का इलाज क्षार सूत्र विधि से कर रहे हैं। ;पर आप जान लीजिये कि क्षार सूत्र विधि बनाना ही सबसे कठिन है। क्षार सूत्र जो बना ले गया और क्षार सूत्र से पाइल्स का इलाज कर रहा है तो वह डॉक्टर 100 प्रतिशत कामयाब है। कई लोग क्षार सूत्र विधि से न करते हुए क्लीन धागे से कर रहा है तो वो नुकसानदेह होता है। पर पेशेंट को क्या मालूम कि क्षार सूत्र किया जा रहा है या प्लेन धागे से किया जा रहा है। इसलिए यहाँ चिकित्सक का चयन बहुत सोच समझकर करना होगा।
आखिरी सवाल मेरा रहेगा आपको इन समस्याओं के उपचार में 15 साल का अनुभव है। बहुत सारे आप केस किए हजारों की तरह अपने कोई ऐसा अनुभव जोड़ा हो जिसमें आपने कुछ अलग किया।
उत्तर प्रदेश के जाने माने पाइल्स रोग विशेषज्ञ, क्षार सूत्र विधि में महारत रखने वाले और सायरा हॉस्पिटल एंड पाइल्स सेण्टर लखनऊ के डायरेक्टर डॉ मोहम्मद शफ़ीक़ ने बताया कि देखिए हमारे पास अभी जल्दी से गोंडा का पेशेंट आया जो कि उसका बहुत एक साल पहले इलाज करा चुका था। उसको फिस्टुला था और वहां पर केजीएमयू गया। वहां पर बताया गया कि आपका जो हाइनल फिस्टुला है रेक्टल एब्सेस आपके रेक्टल फोसा में बना हुआ है तो वहां उन्होंने उसके इलाज ले लिए मना कर दिया कि अगर यही चीज आप क्षार सूत्र विधि से कराते हैं तो 100 प्रतिशत कामयाब रहेगा। वो आया, केस कराया और एक भी दिन रुकना नहीं पड़ा। आराम से अपने घर गोंडा गया गया और अब ठीक है हफ्ते हफ्ते भी आ रहा हो। ऐसे एक केस और आया था मेरे पास जो कि पाइल्स ने परी तरह से लैटिन रास्ते को ब्लॉक कर दिया था और लैटिन जब गुदा मार्ग से बाहर निकलती थी तब उसके साथ भी मस्सा भी बाहर आ जाता थाऔर तो और स्टूल पास होने के बाद उसको उंगली से उसको अंदर करना पड़ता था। हार्डनेस फाइब्रोसिस हो गई थी उसको कहीं मतलब कि वहां पर कम से कम छह सात डॉक्टरों ने मना कर दिया था और उस स में हमने किया तो हंड्रेड परसेंट कामयाब रहा। एक मामला और रहा यहां के लखनऊ के हाई कोर्ट के वकील हैं। ठीक ऐसे ही उनका केस हमारे पास आया जो कि आपका इलाज करने से चरक हॉस्पिटल, केजीएमसी मेडिकल कॉलेज और पीजीआई हॉस्पिटल ने भी मना कर दिया यहां पर क्यों उनका पोर्टल विन डाइलेटेड थी लीवर की एक विंस होती है पोर्टल विन अगर वह डायलेटेड हो गई कहीं भी कट लगा तो ब्लीडिंग रोकना मुश्किल हो जाता है। तो उस केस में हम लोगों ने किया और वहां पर लेजर का इस्तेमाल किया और बहुत कम पेन में उसको ब्लीडिंग कहीं से हो ना पाए। इस तरह बचाकर काम किया गया और वो 100 प्रतिशत कामयाब रहा है। कुल मिलाकर कितना भी बड़ा और खतरनाक मामला हो हम क्षार सूत्र विधि और लेज़र तकनीक का इस्तेमाल कर उसको ठीक कर देते हैं।
पाइल्स, फिशर और फिस्टुला की समस्या के लिए संपर्क करें
सायरा हॉस्पिटल एंड पाइल्स सेण्टर
सेकंड फ्लोर, खान प्लाजा, टेढ़ी पुलिया,
रिंग रोड, होण्डा शोरूम के सामने, लखनऊ, उत्तर प्रदेश
मोबाइल ----, 7786936339 08953070767,
No Previous Comments found.