बाबू वीर कुंवर सिंह राजपूत शौर्य के प्रतीक : डॉ रजनीश

सहरसा : स्थानीय ईस्ट एन वेस्ट टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज में बाबू वीर कुंवर सिंह की जयंती विजयोत्सव के रूप में मनाया गया.इस अवसर पर बाबू वीर कुंवर सिंह के तैलचित्र पर माल्यार्पण व पुष्प अर्पित करते हुए ईस्ट एन वेस्ट काॅलेज समुह के चेयरमैन डॉ रजनीश रंजन ने कहा की बाबू वीर कुंवर सिंह बिहार के भोजपुर जिले के जगदीशपुर गांव के एक राजपूत जमींदार  बाबू साहब ज्यादा सिंह एवं पंचरत्न कुंवर देवी के घर जन्म हुआ था.बाबू वीर कुंवर सिंह के शौर्य एवं पराक्रम के कारण आज भी बिहार में राजपूत जाति के लोगों को बाबू साहब उप नाम से सम्मान दिया जाता है.1857 में बाबू वीर कुंवर सिंह ने अपने सेना पति मेकु सिंह के साथ  भारतीय सैनिकों का नेतृत्व किया.अंग्रेजो के लाख कोशिश के बाद भी भोजपुर लंबे समय तक स्वतंत्र रहा .ब्रिटिश इतिहासकार होम्स ने उनके बारे में लिखा है  कि उस बुढे राजपूत ने ब्रिटिश सता के विरुद्ध अदभुत वीरता और  आन बान के साथ  लड़ाई लड़ी. होम्स ने यह भी लिखा यह गनीमत थी कि युद्ध के समय राजपूत वीर  बांकुरा कुंवर सिंह की उम्र 80 के करीब थी, अगर वह जवान होते तो शायद अंग्रेजो को 1857 में ही भारत छोड़ना पड़ता. 23 अप्रैल 1858 को जगदीशपुर के पास उन्होंने अंतीम लड़ाई लड़ी साथ ही ब्रिटिश हुकुमत के सैनिको को पुरी तरह खदेर दिया .परंतु उसी दिन बुरी तरह घायल होने पर राजपूत वीर बांकुरा ने  जगदीशपुर किले से युनियन जैक नाम का झंडा उतारकर अपने  किले में लौटने के बाद  26 अप्रैल को उन्होंने वीरगति को पाया.यही कारण है 23 अप्रैल को संपूर्ण बिहार में बाबू साहब वीर कुंवर सिंह विजयोत्सव मनाया जाता है.इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ नागेन्द्र कुमार झा,डीएलएड के विभागाध्यक्ष उमाशंकर सिंह चौहान,ईस्ट एन वेस्ट डिग्री काॅलेज के प्राचार्य डॉ बसंत कुमार मिश्रा,नामांकन प्रभारी कुमार मनीष रंजन सिंह  भदौरिया,परीक्षा नियंत्रक अंशु कुमार गुप्ता, रेडियो ईस्ट एन वेस्ट के विज्ञापन प्रबंधक अमीत सिंह चंदेल, पुस्तकालय अध्यक्ष मनोज सिंह, सोनु सिंह  तोमर,जनसंपर्क पदाधिकारी अभय मनोज सहित शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मचारी उपस्थित थे। 

रिपोर्टर : अजय कुमार

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