महिला संवाद : सहरसा के गांवों में बदलाव की नई दहलीज

सहरसा : सहरसा जिले के लिए एक ऐतिहासिक क्षण बनकर आया, जब 24 गांवों में एक साथ आयोजित महिला संवाद सत्रों में 6,050 से अधिक महिलाओं ने भाग लिया। यह आयोजन केवल एक सरकारी कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह महिलाओं के संघर्ष और उनके सपनों को अभिव्यक्त करने का मंच बन गया । वर्षों तक जो आवाज़ें दबाई जाती रहीं, वे अब खुलकर अपनी बात रखने लगी हैं।जहाँ पहले महिलाएं सुनने और सहमति जताने तक सीमित थीं, वहीं अब वे सवाल पूछने, अनुभव साझा करने और अपने अधिकारों की मांग करने में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं । यह बदलाव एक दिन में नहीं आया, बल्कि यह महिला संवाद की उस लंबी यात्रा का नतीजा है, जो कुछ महिलाओं की छोटी-सी पहल से शुरू हुई थी । अब यह कार्यक्रम सहरसा के 1,201 ग्राम संगठनों में अपने पैर पसार चुका है और 3 लाख से अधिक महिलाएं इससे जुड़कर अपने जीवन को बदल रही हैं ।महिला संवाद सत्र हर गांव की अपनी कहानी बयां कर रहे थे । किसी गांव में किशोरियाँ अपने सपनों को शब्द दे रही थीं, तो कहीं पंचायत की महिला प्रतिनिधि आत्मविश्वास से अपने विचार रख रही थीं । इन सत्रों में अनुभवों के साथ भविष्य की योजनाओं की झलक भी दिखाई दी । महिलाएं अब सिर्फ़ सहभागी नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव की सूत्रधार बन चुकी हैं। महिला संवाद कार्यक्रम में तकनीक ने इसे और प्रभावशाली बनाया है। 12 मोबाइल संवाद रथ एलईडी स्क्रीन के साथ गांव-गांव पहुंचकर योजनाओं की जानकारी दे रहे हैं।ये स्क्रीन सिर्फ योजनाओं की जानकारी नहीं देतीं, बल्कि उन कहानियों और प्रेरणाओं को भी साझा करती हैं,जो महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का विश्वास दिलाती हैं।इन सत्रों में जो सवाल उठे,वे केवल व्यक्तिगत समस्याएं नहीं रहे।महिलाओं ने पेंशन में कटौती, गांव में कॉलेज खोलने और अंधेरी सड़कों पर रोशनी लाने जैसे मुद्दे उठाए। ये सवाल अब न केवल चौपालों में गूंज रहे हैं, बल्कि सरकारी नीतियों के निर्माण की दिशा तय करने वाले विषय बन गए हैं। महिला संवाद अब केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक जन आंदोलन बन चुका है।यह पहल सहरसा के गांवों में बदलाव की नई राहें खोल रही है और यह दर्शाती है कि जब महिलाएं संगठित होती हैं,तो वे समाज को एक नई दिशा देने में सक्षम होती हैं ।
रिपोर्टर : अजय कुमार
No Previous Comments found.