पितृ पक्ष में श्राद्ध- तर्पण व ब्राह्राणों को भोजन कराने से पूर्वज होते है तृप्त व प्रसन्न : पंडित शशिनाथ झा

सहरसा : अगस्त ऋषि एवं सप्त ऋषि अर्घ अर्पण के साथ पूर्वजों को जल देने की परम्परा तर्पण की शुरुआत रविवार सें आरंभ हुई।शास्त्रों में पितृ पक्ष का खास महत्व होता है। पितृ पक्ष में लोग अपने पूर्वजों के निमित्त श्राद्ध- तर्पण और ब्राह्राणों को भोज कराते हैं। जिससे उनकी आत्मा को मुक्ति मिलने के साथ मोक्ष की प्राप्ति हो सके। मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान हमारे पूर्वज पितृ लोक से धरती लोक पर आते हैं और वह यह देखते हैं कि उनके परिवारीजन श्राद्ध कर्म कर रहे है या नहीं। वहीं अगर उनके निमित्त सदस्य श्राद्ध कर्म कर रहे हैं तो वह सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। साथ ही पितृ दोष भी नहीं लगता है। वहीं वंश वृद्धि होती है।वैदिक पंचांग के मुताबिक हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के साथ पितृपक्ष शुरू हो जाते हैं, जो आश्विन मास की अमावस्या को खत्म हो जाते हैं।पंडित शशिनाथ झा ने कहा कि पितृ पक्ष में लोग अपने पूर्वजों के निमित्त श्राद्ध- तर्पण और ब्राह्राणों को भोज कराते हैं। जिससे उनकी आत्मा को मुक्ति मिलने के साथ मोक्ष की प्राप्ति हो सके।इस अवसर पर ग्रामीण दिनेश झा,बासुकी झा,काली कांत कुमर,बच्चन झा,प्रभाष चन्द्र झा,अनिल कुमार झा,अशोक कुमार झा,श्रवण कुमार झा,रमेश झा,कैलाश झा,आनंदी महादेव,विनोद झा,खरन राउत,हेमचंद्र झा सहित अन्य लोगों नें गौतम कुंड स्थल पर अपने पूर्वजों के निमित्त तर्पण कर श्रद्धा निवेदित किया।साथ ही जिला प्रशासन सें पितृपक्ष के दौरान सभी तालाब पोखर एवं जलाशय में जल भराव की वैकल्पिक व्यवस्था उपलब्ध कराये जाने की मांग की है।

रिपोर्टर : अजय कुमार

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