एक सच्चा देशभक्त देश से जुड़ा रहता है और पक्ष को वो सिर्फ मत देता है

गुजरात : आजकल सब पक्ष अपना अपना सदस्यता अभियान ला रही हे। और यह एक नई सोच अब लोगो और पक्ष के बड़े बड़े नेताओं पर भी हावी हो गई हे। क्योंकि बकायदा इसमें टारगेट और शक्ति प्रदर्शन जैसी चीजें ही हो रही है। जिसको कोई पक्ष से कुछ लेना देना नहीं उसे भी उसमें जोड़ा जा रहा हे। और पिछले कुछ सालों से यह एक बड़ा अभियान जैसा चल रहा हे जिसमें करोड़ों रुपए पक्ष खर्च कर रहा हे। उससे भी बड़ी बात तो यह हे कि जिसको अपने राज्य में 2,3,4 बार संपूर्ण बहुमत होने के बावजूद भी यह अभियान चला रहे हे। अब सोचने वाली बात यह हे की यह अपने पक्ष को और वोट को मजबूत करने के लिए हर बार लोगो को गुमराह करके यह अभियान महीनों तक चलाते रहते हे। तो क्या इतने नेता और उसके आसपास रहने वाले लोग इतने फ्री बैठे हे। इसको चुनावी प्रकिया में चुन के इसलिए लाए थे कि वो चुने जाने के बाद भी पक्ष के ही काम में लगे रहे। अपने आसपास का , गांव शहर या तहसील का कोई काम ही नहीं है। कोई प्रश्न ही नहीं जो राज्य या लोक सभा में रख सके।?! यह सब एमएलए और एम पी तो चुनाव के बाद पगार लेते हे। तो वह देश को छोड़कर उस टाइम पे पक्ष का काम कैसे कर सकते है।।और जब प्रजा या कोई और आईना दिखाए और गाली दे तो बोल देते हे की यह देश का नेता हे सब का नेता हे। लेकिन उसके लक्षण में यह कहा दिखाई देता हे। ज्यादातर नेता लोग अपनी मुलाकात भी अपने पक्ष या जान पहचान के लोग से ही करते हे।क्योंकि उसकी वाह वाही होती रहे। लेकिन उससे भी बड़ी सोचने वाली बात हे। वह किटली की जो यह चाय के साथ जुड़ी हे। यानी की इस पक्ष के अनुयायीयो जो अपने फायदे के लिए पक्ष में जुड़े है।और अपना सारा काम छोड़ बस पूरे दिन इसमें लगे रहते हे। बकायदा कही जगह पक्ष ऐसी "किटली " को कुछ न कुछ पद या पैसे देती हे। कोई जगह उसे बड़ा बना देती हे। और हमारे गुजरात में कहावत भी हे कि चाय से ज्यादा किटली गर्म रहती हे। बस वही घाट हे। लेकिन ऐसे लोगों को यह नहीं पता के आप देश के नागरिक  को पक्ष में जोड़ने का काम कर रहे हो। लेकिन अगर आप सच्चे देश भक्त हो तो आपको और आपके आसपास के लोगों को देश से जुड़ा रहना चाहिए न की चुनाव होने के बाद भी कोई पक्ष से।!? अब इसी बात को आप गहराई से समझे तो कोई भी नागरिक अपना मत अधिकार का उपयोग कर ले उसके बाद उसको सिर्फ और सिर्फ देश के लिए ही सोचना चाहिए। अगर अपने गली मोहल्ले गांव शहर में कुछ भी गलत हो रहा है तो देश के सच्चे नागरिक में उसका ऑब्जेक्शन लेने की ताकत होनी चाहिए और इसीलिए हमें आजादी मिली थी। यह आजादी कोई पक्ष या कोई व्यक्ति विशेष के तलवे चाटने के लिए नहीं मिली है यह आजादी देश का हर एक नागरिक देश के लिए अपनी बात रख सके और सब मिलकर देश का ही सोच सके देश को आगे बढ़ाने के लिए अपना योगदान दे सके जहां गलत हो रहा है वहां वह सच्चाई की आवाज उठा सके उसी को तो लोकतंत्र कहते हैं और उसी के लिए हमने आजादी ली है। लेकिन अब ऐसा सिनेरियो हो गया है कि कोई एक पक्ष अपने ज्यादा से ज्यादा सदस्य दिखाकर थोड़े बहुत बच्चे कुछ सच्चे और देशभक्त नागरिकों को भी दबाने की कोशिश कर रहे हैं। वह खुलेआम पागल हाथी की तरह देश को बेच रहे हैं और इन सब सदस्य का का साथ रह रहे हैं। ज्यादातर नेता को भी चुनाव होने के बाद और अपने चुने जाने के बाद अगर वह सच्चे देशभक्त है तो देश के पक्ष में ही रहना चाहिए ना की कोई पक्ष के पक्ष में। आपको यह भी बता दूं की कोई भी पक्ष अगर कोई भी अभियान के लिए या चुनाव के लिए जो उसको मिले पैसे को खर्च कर रहा है यानी कि पक्ष की तिजोरी में जो पैसे हैं उसको खर्च कर रहा है तो यह जान लीजिए कि यह पैसे ज्यादातर प्रत्यक्ष रूप से जो देश की तिजोरी में जमा होने थे वह पक्ष की तिजोरी में जमा हो रहे हैं या जमा हुए हैं क्योंकि सारे पक्षों को दिया हुआ दान टेक्स्ट में से बाद मिल रहा है अगर वह टैक्स भरते तो वह चीज या वह पैसा देश की तिजोरी में जमा होता लेकिन अब वह पक्ष की तिजोरी में गया है और वह उसको खर्च कर रहे हैं तो सभी अभियान में या चुनाव में ज्यादातर पैसे प्रत्येक रूप से जो देश की तिजोरी में जाने चाहिए वह पक्ष की तिजोरी में गए। यह तो सिर्फ वाइट मनी की ही बात हो रही है। और ब्लैक तो सबको पता हे। अब आखिर में यही कहना हे की चुनावी प्रकिया के बाद भी जो पक्ष में जुड़ा हे। वो कभी देश का नहीं हो सकता। क्योंकि जो पक्ष का हे वो देश का नहीं और जो देश का हे उसे कोई पक्ष की जरूरत ही नहीं। आप किसी भी पक्ष को मानो बस वह चुनाव तक ही सीमित रखे बाकी देश से जुड़े रहो। क्योंकि मेरा ऐसा मानना हे की। एक सच्चा देशभक्त देश से जुड़ा रहता हे और पक्ष को वो सिर्फ मत देता हे क्योंकि हमे ऐसा भारत चाहिए की

मेरा भारत कैसा हो !? मेरा भारत कैसा हो।
जहा दूध की धारा बहती हो , हर घर खुशहाली रहती हो,
जहा उच्च नीच न कोई जात हो , और सब की समान बात हो,
जहा अहिंसा का नारा हो , और हिंसा से किनारा हो,
जहा सबके सपने पूरे हो, और न एक भी ख्वाब अधूरे हो,
जहा नेता को जिम्मेवारी का भान हो, और जनता को देश का ध्यान हो,
जहा देश पर न कोई  कर्ज हो, और संशोधन में सारे पैसे अर्ज हो,
जहा युवा पीढ़ी बसती हो, और समान वेतन पाकर हसती हो,
सब को देश हित ही याद हो, न कोई और फरियाद हो,
बस इतने सपने सारथ हो और ऐसा अपना भारत हो, ऐसा अपना भारत हो।

रिपोर्टर : चंद्रकांत पूजारी

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