उसके लिए एक जैसा है नया पुराना साल....

कभी लगाता ठेला दिन भर लेता कभी  उधार
मनियाँ की हालत खस्ता है किस्मत से लाचार
उसके  लिए  एक  जैसा  है  नया पुराना साल
जाने कब से नहीं बनी है घर  में  सब्जी  दाल

तीन लोग हैं घर में केवल मनियाँ रनियाँ राजू
केवल  चार  बाँट  पत्थर  के  टूटी  हुई तराजू
भट्ठे  के  मालिक  की  ईंटें  ढोने  वाली  गाड़ी
और पड़ोसन से माँगी  कोने  में  रखी  कुल्हाड़ी

एक फूस का छप्पर जिस पर मढ़ी हुई तिरपाल

एक रजाई जिसका कोना चूहे कुतर गए हैं
स्वेटर वही पुराना जिसके कंधे उतर गए हैं
एक शॉल रनियाँ की जो उसके घर से आई थी
बेटे की टोपी उसके  मामा  ने  दिलवाई  थी

इसीलिए तब से लज्जावश नहीं गया ससुराल

गोवर्धन की परिक्रमा तुलसी की दीया बाती
जिसके कारण घर में सबकी भारी रहती छाती
मनियाँ बचपन से ग्यारस को रखता है उपवास
सोमवती मावस से रनियाँ को है पूरी आस

शायद अंतर्मन की पीड़ा सुन लें दीनदयाल
जी भर कोशिश करता कुछ भी जमा नहीं हो पाता
थोड़ा  हो  भी  जाए  तो  बीमारी  में लग जाता
मनियाँ सोच रहा है धनवानों को सुख ही सुख है
भोग रहा है उतना जो उसके हिस्से का दुख है

परम सत्य इतना है सबको ही खायेगा काल

 

 

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