समाज में शिक्षा का प्रतिशत बढ़ने के बाद भी अपराध क्यों बढ़ रहा है।

साहित्य : एक विरोधाभास? यह एक विचारणीय प्रश्न है कि समाज में शिक्षा का स्तर बढ़ने के बावजूद अपराधों में वृद्धि क्यों  हो रही है? यह विरोधाभास हमें गहराई से सोचने पर मजबूर करता है कि' क्या शिक्षा का अर्थ केवल साक्षरता प्राप्त करना है, या इसके और भी आयाम हैं जो अपराध को नियंत्रित करने में सहायक हो सकते हैं।

आम धारणा यह है कि शिक्षा व्यक्ति को अधिक जागरूक, जिम्मेदार और नैतिक बनाता है, जिससे वह अपराध से दूर रहता है। निश्चित रूप से, शिक्षा के कई सकारात्मक प्रभाव होते हैं यह लोगों को बेहतर आजीविका के अवसर प्रदान करती है, जिससे गरीबी और बेरोजगारी से जुड़े अपराधों में कमी आनी चाहिए। शिक्षा तर्कसंगत सोच को बढ़ावा देती है और समाज के नियमों और कानूनों के प्रति सम्मान पैदा करती है।
फिर भी, अपराधों में वृद्धि के पीछे कई जटिल कारण हो सकते हैं, भले ही समाज शिक्षित हो रहा हो परंतु मूल्य आधारित शिक्षा का अभाव: अक्सर हमारी शिक्षा प्रणाली देखी गई है 
आज की शिक्षा केवल किताबी ज्ञान और डिग्री प्राप्त करने पर केंद्रित होती है, यह नैतिक मूल्यों, सहानुभूति, सामाजिक जिम्मेदारी और सही-गलत के बीच अंतर करने की क्षमता विकसित करने पर उतना जोर नहीं देती। यदि व्यक्तियों में नैतिक  कमी है, तो केवल साक्षरता उन्हें अपराध से नहीं रोक सकती। बढ़ती आकांक्षाएं और असंतोष: शिक्षित लोगों की आकांक्षाओं को बढ़ाती है। जब इन आकांक्षाओं को पूरा करने के वैध साधन उपलब्ध नहीं होते, तो कुछ लोग अवैध तरीकों का सहारा लेने लगते हैं। 
आर्थिक असमानता और अवसरों की कमी, हमेशा अपराध करने के लिए लोगों को उकसाती है। भले ही लोग शिक्षित हों, लेकिन निराशा अपराध को जन्म दे सकती है।
तकनीकी प्रगति का दुरुपयोग भी बढ़ते अपराध का एक बहुत बड़ा कारण है।शिक्षा के साथ-साथ तकनीकी प्रगति भी हुई है। साइबर अपराध, वित्तीय धोखाधड़ी और ऑनलाइन शोषण जैसे नए प्रकार के अपराधों में वृद्धि हुई है, जिनके लिए अक्सर तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता होती है। शिक्षित अपराधी इन तकनीकों का अधिक कुशलता से उपयोग कर अपराध करते हैं।
आधुनिक समाज में उपभोक्तावाद और भौतिकवादी मूल्यों का प्रभाव बढ़ा है। लोगों में अधिक धन और वस्तुएं प्राप्त करने की होड़ है। यदि वे वैध तरीकों से इसे हासिल नहीं कर पाते, तो कुछ लोग शॉर्टकट के रूप में अपराध का रास्ता चुन लेते हैं।
 अपराधों की रिपोर्टिंग में वृद्धि, कानून प्रवर्तन एजेंसियों की क्षमताएं, और न्यायिक प्रणाली की दक्षता भी अपराध के आंकड़ों को प्रभावित करती हैं। आधुनिक जीवनशैली का तनाव और दबाव मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ा रहा है। ये समस्याएं भी कुछ मामलों में आपराधिक व्यवहार को जन्म दे सकती हैं, भले ही व्यक्ति शिक्षित हो।
 शहरीकरण, परिवारिक संरचनाओं में बदलाव और व्यक्तिगत अलगाव की भावना भी अपराध में योगदान कर सकती है। शिक्षा अकेले इन सामाजिक बदलावों का मुकाबला नहीं कर सकती।
संक्षेप में, शिक्षा एक महत्वपूर्ण उपकरण है जो समाज को बेहतर बना सकता है, लेकिन यह अपराध को रोकने का एकमात्र समाधान नहीं है। हमें एक ऐसी शिक्षा प्रणाली की आवश्यकता है जो न केवल अकादमिक ज्ञान दे बल्कि नैतिक मूल्यों, सहानुभूति, सामाजिक जिम्मेदारी और समस्या-समाधान कौशल को भी बढ़ावा दे। इसके साथ ही, आर्थिक असमानता को कम करना, अवसरों का सृजन करना, कानून प्रवर्तन को मजबूत करना और सामाजिक सामंजस्य को बढ़ावा देना भी अपराधों को कम करने के लिए आवश्यक है।

रिपोर्टर : चंद्रकांत पुजारी

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