वर्तमान भुलाकर भूतकाल याद कराएंगे। ऐसे नेता की जात देश को बेच खाएंगे।

साहित्य : आज भारतीय राजनीति में एक खतरनाक ट्रेंड चल रहा है। जब भी कोई सरकार या नेता वर्तमान की नाकामियों, घोटालों, बेरोजगारी, महंगाई, संस्थानों की बिक्री या विदेशी कंपनियों को सौंपी जा रही जमीनों पर सवालों से घिरता है, तो तुरंत भूतकाल का पिटारा खोल दिया जाता है।  

“उसने भी तो ऐसा किया था”, “उस ज़माने में तो और बुरा था”, “उन्होंने भी संस्थान बेचे थे” – ये वाक्य अब बहस का अंत बन गए हैं।  
यह सिर्फ बचाव की रणनीति नहीं, बल्कि एक सोचा-समझा खेल है जिसमें जनता का ध्यान वर्तमान की हकीकत से हटाकर अतीत के झगड़ों में उलझा दिया जाता है। और इस खेल में मीडिया भी बराबर की हिस्सेदार बन गई है।

लेकिन सच यह है कि *इतिहास को याद कर के ही हम वर्तमान से मुंह नहीं मोड़ सकते*।  
इतिहास हमें सिखाता है कि गलतियाँ दोहराना कितना महंगा पड़ता है। इतिहास हमें चेतावनी देता है कि सार्वजनिक संपत्ति को लूटने की इजाजत किसी को नहीं दी जा सकती – चाहे वह 1970 में हो या 2025 में। इतिहास हमें याद दिलाता है कि जब भी सत्ता ने जनता को बाँटने का हथियार उठाया, देश कमजोर हुआ।  
इसलिए इतिहास को भूलना नहीं, बल्कि उससे सीख लेकर वर्तमान को और सख्ती से कटघरे में खड़ा करना चाहिए।

 वर्तमान की कुछ कड़वी हकीकतें जिन्हें भुलाया जा रहा है
1. पिछले दस साल में 50 से ज्यादा केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (PSU) या तो बेचे जा चुके हैं या बेचने की प्रक्रिया में हैं – एयर इंडिया, भारत पेट्रोलियम के हिस्से, रेलवे स्टेशन, बंदरगाह, हवाई अड्डे, कोल इंडिया के खदान, LIC का IPO, IDBI बैंक… लिस्ट बहुत लंबी है।  
2. देश की करीब 32 लाख हेक्टेयर से ज्यादा जमीन (कुछ अनुमानों के अनुसार उससे भी ज्यादा) विभिन्न औद्योगिक गलियारों, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स और निजी कंपनियों को दी जा चुकी है।  
3. बेरोजगारी की दर 45 साल के उच्चतम स्तर पर पहुँच चुकी है (CMIE के आंकड़े)।  
4. किसान आंदोलन के बाद भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कानूनी गारंटी नहीं दी गई।  

इन सारे मुद्दों पर जब सवाल उठते हैं, तो जवाब में आता है – “कांग्रेस ने तो 70 साल में देश को लूट लिया”, “इमरजेंसी तो आप ही लाए थे”, “बोफोर्स, 2G, कॉमनवेल्थ तो भूल गए?”  
यानी वर्तमान की लूट को जायज ठहराने के लिए भूतकाल की लूट को सर्टिफिकेट दे दिया जाता है। यह नीच सोच है। यह सोच देश को ले डूबेगी। 

 * एक ठोस उदाहरण: इतिहास की किताबों से मुगल और गांधी को गायब करना
2022-2024 के बीच NCERT की पाठ्यपुस्तकों में जो बदलाव किए गए, वह इस ट्रेंड का जीता-जागता सबूत हैं।  
- मुगल साम्राज्य के लगभग सारे अध्याय हटा दिए गए।  
- गुजरात दंगों का जिक्र हटा दिया गया।  
- महात्मा गांधी की हत्या के बाद RSS पर लगे प्रतिबंध का उल्लेख गायब कर दिया गया।  
- दिल्ली सल्तनत से लेकर स्वतंत्रता संग्राम तक कई हिस्से या तो हटा दिए गए या संक्षिप्त कर दिए गए।  

जब शिक्षाविदों और विपक्ष ने विरोध किया तो सरकार का जवाब था – “कांग्रेस ने भी तो इतिहास को तोड़ा-मरोड़ा था”, “नेहरूवादी इतिहासकारों ने हिंदू राजाओं को नीचा दिखाया था”।  
यानी वर्तमान में इतिहास को फिर से तोड़-मरोड़ने का औचित्य पुराने तोड़-मरोड़ से निकाला जा रहा है।  
नतीजा? आज का बच्चा मुगलकाल की वास्तविक उपलब्धियों और कमियों दोनों से अनजान रह जाएगा। वह गांधी की हत्या के सामाजिक-सांप्रदायिक परिणामों को नहीं समझेगा। वह यह नहीं जान पाएगा कि देश कैसे बना, कैसे टूटते-टूटते बचा।  
और सबसे बड़ी बात – वह वर्तमान सरकार की जिम्मेदारियों से उसका ध्यान हट जाएगा, क्योंकि उसका दिमाग 500 साल पुराने झगड़ों में उलझा रहेगा।

 अंत में यही कहना है
इतिहास को याद करने का मतलब यह नहीं कि हम उसमें डूबकर वर्तमान को भूल जाएँ।  
बल्कि इतिहास को याद करने का मतलब है –  
- यह समझना कि सार्वजनिक संपत्ति बेचना देश के साथ गद्दारी है, चाहे वह 1991 में हो या 2025 में।  
- यह समझना कि धार्मिक उन्माद फैलाना देश को कमजोर करता है, चाहे वह 1947 में हुआ हो या आज हो रहा हो।  
- यह समझना कि सत्ता का दुरुपयोग हमेशा खतरनाक होता है, चाहे इमरजेंसी में हुआ हो या आज की एजेंसियों के दुरुपयोग में हो रहा हो।  

इतिहास हमें आँखें देता है, अंधता नहीं। इतिहास से सीख लेकर ही हम वर्तमान को बदल सकते हैं।  
इतिहास को हथियार बनाकर वर्तमान से भागना कायरों का काम है।  

जो नेता ऐसा करते हैं, वे देश नहीं बेच रहे – वे देश का भविष्य बेच रहे हैं। और हमें यह बिकने नहीं देना है।  और यह हमेशा याद रखना की..

युग पूरा होने के बाद ही तेरा सच बहार आएगा।
सत्य की कलम के साथ काले अक्षरों से इतिहास लिखा जाएगा।।
होगे करोड़ों लोग आज तेरे साथ फिरभी तू गालियां खाएगा।
जब देश के सही बंटाधार का इतिहास तेरे नाम लिखा जाएगा।।
होंगे थोड़े अच्छे काम जो बड़े देखाके तू आगे बढ़ जाएगा।
मारेंगे भी काम के ताने तुझे जब उसके लेखें जोखे का इतिहास लिखा जाएगा।।

बस एक बात याद रखना कोईभी युग पूरा होने के बाद ही उसका लेखा जोखा होके सही इतिहास लिखा जाता हे।।।
जय हिंद।

रिपोर्टर : चंद्रकांत पुजारी

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