पुरूष होना भी आसान नही होता

साहित्य :  पुरुष किसी भी रूप में हो पिता ,भाई,पति,प्रेमी,मित्र  या पुत्र एक बात सभी में समान होती है और वो ये कि वो अपने साथ रह रही महिला को हमेशा ही सुरक्षित रखना चाहतें हैं शायद इसीलिए कुछ बातों में वो हमारा विरोध करतें हैं ।
ये भी सही है कि हमें उनका विरोध पसंद नही आता लेकिन कुछ लोगों को छोड़ दिया जाए तो बाकि विरोध के पीछे उनका प्रेम, स्नेह और फिक्र छुपा होता है ।
आप सभी अपने परिवार के प्रति बहुत समर्पित रहतें हैं बहुत मेहनत करतें हैं ।
आप सभी पुरुषों को मेरा नमन ।
अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस की आप सभी को हार्दिक बधाई ।
मैं हमेशा महिलाओ के लिए लिखती हूँ लेकिन आज की रचना हर एक पुरुष हर एक सम्मानित पिता को समर्पित है नमन है। आप सभी को जो पूरी जिंदगी बड़े धैर्य पूर्वक अपना परिवार सम्भालते हैं ।

पुरूष होना भी आसान नही होता
पुरुष का पुरुष होना भी ,
आसान नही होता ,
हालात चाहे कुछ भी हो,
हर हाल में खुद को संभाले रखना ,
आसान नही होता ,
दर्द उसे भी होता है, 
तकलीफ उसे भी होती है,
आँख उसकी भी भर आती है ,
फुट कर वो भी रोना चाहता है,
लेकिन आँसू बहाना ,
पुरुषार्थ के दायरे में नही आता ,
पुरुष का पुरुष होना भी ,
आसान नही होता है,
माँ बहन और बेटी ,
दोस्त प्रेमिका और पत्नी , 
इन सब में इनकी दुनियाँ ,
उलझ सी जाती है,
इनकी खुशियों की खातिर ,
हर सुविधा जुटाई जाती है,
चले सुचारू घर गृहस्थी ,
बस इसी में लगे ये रहते हैं ,
अपनी जरूरत का इन्हे ,
है तनिक भी ख्याल नही आता 
पुरुष का ...
दो सौ का टी शर्ट खरीदने से ,
इंकार करने वाला पिता,
बच्चो का दो लाख का फिस ,
हँसते - हँसते भर आता है,
पुरी जिंदगी की जोड़ -तोड़ कर ,
की गई जमा पूंजी एक पति ,
अपनी पत्नी की बीमारी में ,
यूँ ही खर्च कर आता है,
और फिर भी अगर कोई ,
गलती से गलती हो जाए तो ,
पुरे समाज की तरफ से ,
कटघरे में खड़ा कर दिया जाता है,
गलती उसकी है या नही ,
इससे फर्क नही पड़ता  ,
समाज की तरफ से इल्ज़ाम  ,
उसके सर मढ़ दिया जाता है,
पुरूष का .....।
रिपोर्टर : चंद्रकांत पुजारी

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