तीसरे सोमवार को बाबा मटेश्वर धाम में 2 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने किया जलाभिषेक

सहरसा : जिले के सिमरीबख्तियारपुर प्रखंड के कांठो बलवाहाट स्थित मिनी बाबा धाम के नाम से प्रसिद्ध बाबा मटेश्वर महादेव मंदिर में सावन के तीसरे सोमवार को आस्था का अद्भुत दृश्य देखने को मिला। बाबा भोलेनाथ के जलाभिषेक हेतु रात 12 बजे से ही कांवरियों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। बाबा के दर्शन के लिए एवं जल चढ़ाने के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतारें दिनभर लगी रहीं। मंदिर न्यास समिति के अनुसार लगभग 2 लाख से अधिक कांवरियों ने बाबा मटेश्वर महादेव का जलाभिषेक किया।इस अवसर पर मुंगेर के छर्रापट्टी से पवित्र गंगा जल भरकर  "डाक बम" कमरिया बम पैदल बम टू व्हीलर फोर व्हीलर, की टोलियाँ विशेष आकर्षण का केंद्र रहीं। पूरे परिसर में "बोल बम" के जयघोष से वातावरण शिवमय हो गया।वही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को नियंत्रित करने में प्रशासन व मंदिर समिति की भूमिका अत्यंत सराहनीय रही। पुलिस व्यवस्था सुचारु रही और प्रसारण व मार्ग संचालन बेहतरीन ढंग से किया गया था।मंदिर समिति अध्यक्ष डॉ. अरुण कुमार, सचिव जगधर यादव, उपाध्यक्ष सत्यनारायण सिंह,काठों पंचायत के मुखिया भोलेंद्र राय, प्रखंड प्रमुख शबनम कुमारी, काठों पंचायत के समिति परितोष कुमार सिंह, रामअवतार यादव,विनोद कुमार सिंह,जीतेन्द्र सिंह, ब्रह्मदेव टंटी, ललित झा, कांवड़िया संघ के अध्यक्ष मुन्ना भगत, अरविंद यादव, सिकेन्द्र साह समेत अन्य पुलिस प्रशासन मजिस्ट्रेट लगातार व्यवस्था संभालने में जुटे रहे।मंदिर के पुजारी पंडित हरिमोहन झा, आमोद झा,ललित झा, ललन झा, रूपेश झा, हरेराम झा, शंभू झा आदि के सहयोग से जलाभिषेक व्यवस्था को सुव्यवस्थित रूप दिया।बाबा मटेश्वर स्थान को मिथिलांचल का "मिनी बाबा धाम देवघर" भी कहा जाता है। यह प्राचीन शिवलिंग कई वर्षों से क्षेत्र में श्रद्धा का प्रमुख केंद्र रहा है। सावन के महीने में विशेषकर  रविवार सोमवार के दिन यहाँ लाखों श्रद्धालु जलाभिषेक के लिए पहुंचते हैं। मान्यता है कि यहाँ सच्चे मन से की गई पूजा से भोलेनाथ शीघ्र प्रसन्न होते हैं। बाबा मोटेश्वर स्थान में स्थापित शिवलिंग की उत्पत्ति को लेकर यह मान्यता है कि यह स्वयंभू (स्वतः प्रकट) शिवलिंग है, स्थानीय लोगों का कहना है कि यह शिवलिंग पाताल लोक से स्वयं प्रकट हुए हैं , बाबा मटेश्वर शिवलिंग की अद्भुत शक्ति है, पवित्र गंगाजल शिवलिंग पर चढ़ने पर सरि जल  पताल लोग चला जाता है बाहर नहीं निकलता है, और तब से यह स्थान पूजा-पाठ का केंद्र बन गया।

रिपोर्टर : अजय कुमार

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