कंदाहा सूर्य मंदिर में भगवान शिव की शिष्यता पर संगोष्ठी आयोजित

सहरसा : भगवान शिव की शिष्यता एवं शिष्य भाव पर अंचल क्षेत्र के प्रसिद्ध सुर्य मंदिर कन्दाहा में एक दिवसीय शिव गुरु परिचर्चा का आयोजन किया गया जिसमें उपस्थित गुरु भाई एवं बहना को सम्बोधित करते गुरु बहन ज्योति ने कहा कि भगवान शिव गुरु रुप में अपने शिष्यों के अंदर प्रेम पैदा करते हैं। जिससे आज आध्यात्म जनमानस के बीच सरल और सुलभ हो रहा है।उन्होंने कहा कि इस काल खंड के महामानव साहब श्री हरीन्द्रानन्द जी ने भगवान शिव को गुरु मानकर एक संकल्प लिया कि भगवान शिव की शिष्यता से विश्व के सभी मानव को जोड़कर उनके अंदर का आध्यात्म की ज्योति जगाकर जगत को भगवान शिव गुरु के आश्रय में डालकर परिणामदायी गुरु के रुप में साबित करुंगा।शिव शिष्यों को सम्बोधित करते शिव शिष्य भाई परमेश्वर ने कहा कि साहब श्री के तल पर उतरकर जो शिव ने उन्हें अनुभूति प्रदान किया आज शिव के शिष्य साहब श्री के बताए गए मार्ग पर चलकर वही अनुभूति प्राप्त कर रहें हैं।उन्होंने कहा कि भगवान शिव अपने शिष्यों को अदृश्य सत्ता से साक्षात्कार करवाते हैं और उन पर किए गए दया से उन्हें एहसास भी करवाते हैं।उन्होंने कहा कि जबसे भगवान शिव के गुरु स्वरुप की बात साहब श्री हरीन्द्रानन्द जी ने करना प्रारंभ किया तब से मानव के जीवन में पहले से बेहतर व्यवस्था देखने को मिलता है।उन्होंने कहा कि साहब श्री हरीन्द्रानन्द जी ने जबसे लोगों को भगवान शिव की शिष्यता एवं शिवेच्छा से प्राप्त 3 सुत्र देकर भगवान शिव को शिष्य भाव अर्पित करने का आदेश दिया तबसे भगवान शिव अपने शिष्यों का उत्तरदायित्व लेने लगे।उन्होंने कहा कि ग्रन्थों में वर्णित आदि गुरु भगवान शिव की शिष्यता भगवान शिव के इच्छा से साहब श्री हरीन्द्रानन्द जी ने सन् 1974 में भगवान शिव को गुरु माना,फिर उन्हें जांचा और परिणाम मिलने के वाद उनके मन का यह संकल्प कि आध्यात्मिक आह्लाद से आध्यात्म में आई संक्रान्ती से प्रत्येक व्यक्ति को मुक्त करने की अन्त: प्रेरणा जगी और एक एक व्यक्ति को शिव का शिष्य बनाने का संकल्प संकल्पित होता गया।उन्होंने कहा कि शिव शिष्य हरीन्द्रानन्द जी का यह उक्ति कि जगत गुरु भगवान शिव का शिष्य बने,आदि गुरु शिव को प्रणाम निवेदित करना आपको शिव का शिष्य बनाता है,शिव शिष्य होकर मैंने परीक्षा की है,आप भी शिव का शिष्य होकर परीक्षा करें।उन्होंने कहा कि भगवान शिव गुरु है ही महत्व है कि शिव का शिष्य होकर शिष्य भाव की स्थिति में खड़ा रहना।मौके पर शिव शिष्य भाई परमेश्वर,डोमी राम,शशि यादव, सत्य प्रकाश राय,महाकांत मुखिया, मुखिया बुलुर मुखिया,बहन सिद्धि,आदि के भगवान शिव गुरु स्वरुप संदर्भित संकल्प को सुनने के वाद 85 लोगों ने भगवान शिव की शिष्यता ग्रहण किया।

रिपोर्टर : अजय कुमार

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