"शुद्ध पानी के लिए तरस रहे भुसबर वार्ड 14 के 50 से अधिक हरिजन परिवार"
समस्तीपुर :- विभूतिपुर प्रखंड क्षेत्र के भुसवर पंचायत के वार्ड संख्या 14 में करीब 50 हरिजन परिवार पिछले छह वर्षों से भी अधिक समय से शुद्ध पेयजल के लिए तरस रहे हैं। इस बस्ती में हरिजन परिवार की कुल आबादी करीब 250 होगी। एक तरफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हरिजन और दलितों को एक साथ लेकर चलने की बातें करते हैं। वही बिहार सरकार की इस ड्रीम प्रोजेक्ट महत्वाकांक्षी नल-जल योजना इन हरिजन परिवारों के लिए महज एक दिखावा बनकर रह गई है। करीब 6 वर्ष पूर्व घरों तक पाइप बिछे, टोटियां भी लगी, लेकिन उनसे पानी की एक बूंद तक नहीं टपकती। राधा देवी, रामसखी देवी, सुगीया देवी, सुनैना देवी, नीलम देवी, सीता देवी, ममता देवी, खुशबू देवी, रामप्यारी देवी, ललिता देवी सहित एक दर्जन से अधिक महिलाओं ने अपनी व्यथा सुनाते हुए बताया कि योजना शुरू हुए 6 साल से भी अधिक समय बीत चुके हैं, लेकिन उन्हें आज भी इसका लाभ नहीं मिला। वे आज भी शुद्ध पीने योग्य पानी के लिए निजी चापाकल पर निर्भर हैं। आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण सभी अपने घर में निजी चापाकल भी नहीं गरा सकते हैं। स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि चापाकल से आने वाला पानी भी दूषित होता है, जिसके कारण उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। वार्ड की यह समस्या स्थानीय जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों के जानकारी में होने के बावजूद इस समस्या पर किसी ओर से कोई ठोस पहल नहीं हो रही है। वार्ड संख्या 14 की वर्तमान वार्ड सदस्या रीना देवी ने बताया कि उनके कार्यकाल से पूर्व ही करीब 2018-19 में नलजल का वाटर टावर लगाया गया। पाइप भी बिछा दिया गया लेकिन वार्ड की क्षेत्रफल बड़ा होने के कारण हरिजन बस्ती में पानी नहीं जा रहा है। इस संबंध में कई बार अधिकारियों को लिखित और मौखिक रूप से भी इस समस्या से अवगत कराया, लेकिन उनकी शिकायतें अनसुनी कर दी गईं।
रीना देवी ने आगे बताया कि पीएचईडी विभाग के जूनियर इंजीनियर (जेई) ने दो दिन के भीतर इस समस्या को गंभीरता पूर्वक लेते हुए जांच पड़ताल कर समस्या को ठीक करने का आश्वासन दिया था, लेकिन यह आश्वासन भी हवा-हवाई साबित हुआ और जांच पड़ताल भी सुरू नहीं हुआ। स्थानीय लोग ज़िला प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि जल्द से जल्द बिहार सरकार की महत्वाकांक्षी नल-जल योजना को चालू कराकर उन्हें शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जाए, ताकि उनके स्वास्थ्य और जीवन स्तर में सुधार हो सके। इस संबंध में पीएचडी विभाग के जेई से संपर्क किया गया लेकिन बात नहीं हो सकी।
रिपोर्टर - राजेश कुमार

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