सम्भल बार एसोसिएशन ने अधिवक्ता संशोधन बिल 2025 का कड़ा विरोध

सम्भल - बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं ने आज राष्ट्रपति महामहिम को संबोधित एक ज्ञापन सम्भल के उपजिलाधिकारी को सौंपा। इस ज्ञापन के माध्यम से एसोसिएशन ने केन्द्र सरकार द्वारा प्रस्तावित *अधिवक्ता संशोधन बिल 2025* का कड़ा विरोध किया है और अपनी मांगें रखते हुआ कहा कि: यह बिल अधिवक्ताओं के संवैधानिक अधिकारों को समाप्त करने और उनकी आवाज दबाने का प्रयास है। बिल के तहत अधिवक्ताओं को हड़ताल या कार्य बहिष्कार करने से रोका जा रहा है, जो कि भारतीय संविधान के *अनुच्छेद 19* (वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और *अनुच्छेद 21* (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता) का उल्लंघन है। बिल की धारा 35ए के अनुसार, अधिवक्ताओं के किसी भी संघ या सदस्य को अदालत के कार्य का बहिष्कार, हड़ताल या विरत रहने का प्रस्ताव करने पर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी। यह प्रावधान लोकतांत्रिक व्यवस्था में हड़ताल के अधिकार को छीनने का प्रयास है। बिल की धारा 35 के तहत अधिवक्ताओं पर तीन लाख रुपये का जुर्माना लगाने का प्रावधान है, जो कि पक्षपातपूर्ण है। इससे अधिवक्ताओं पर अनावश्यक दबाव बनेगा और उनकी कार्य स्वतंत्रता प्रभावित होगी। साथ ही, शिकायत पर पचास हजार रुपये का जुर्माना लगाने का प्रावधान भी है, लेकिन अधिवक्ताओं की सुरक्षा के लिए कोई उपाय नहीं है। बिल के माध्यम से विदेशी फर्मों और विदेश में काम करने वाले अधिवक्ताओं को भारतीय अदालतों में काम करने की अनुमति दी जाएगी, जिससे भारतीय अधिवक्ताओं के अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। एसोसिएशन ने चिंता जताई कि इस बिल के लागू होने से अधिवक्ताओं के अधिकार शून्य हो जाएंगे और न्यायिक प्रणाली निरंकुश हो जाएगी, जिससे भारत की न्यायिक व्यवस्था दूषित होगी और जनता के न्यायिक अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। एसोसिएशन ने उत्तर प्रदेश में *अधिवक्ता प्रोटेक्शन एक्ट* लागू करने और अधिवक्ताओं के लिए दस लाख रुपये के मेडिक्लेम की व्यवस्था करने की मांग की है। साथ ही, किसी अधिवक्ता की मृत्यु होने पर दस लाख रुपये की बीमा राशि प्रदान करने का भी अनुरोध किया गया है। सम्भल बार एसोसिएशन ने राष्ट्रपति महामहिम से अनुरोध किया है कि केन्द्र सरकार को निर्देश दिया जाए कि अधिवक्ता संशोधन बिल 2025 को तत्काल निरस्त किया जाए और ऐसा कोई भी बिल प्रस्तावित न किया जाए, जिससे अधिवक्ताओं की वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रभावित हो। इस अवसर पर सम्भल बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं में *डॉ अमित कुमार उठवाल, रवि चौधरी, अशोक कुमार, मदन पाल सिंह, सत्यपाल सिंह, नीरज गुप्ता, सुभाष त्यागी, फजल हक, प्रदीप सिंह, प्रमेन्द्र सिंह, मुनेश शर्मा, अली सादिक, राजीव भटनागर, विनय गोयल, नरेन्द्र सिंह, मो. नईम, सत्यवीर शर्मा, रामरहीस यादव, अफजाल अहमद, मनोज कुमार, सचिन चौहान, अजेन्द्रपाल सिंह, रामकिशन सिंह, नीतू सिंह, मोहम्मद याकूब, अनीस अहमद* आदि उपस्थित थे।
रिपोर्टर - राहुल उठवाल
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