कदम-दर-कदम चीकू की उन्नत खेती: किसान के लिए आसान मार्गदर्शन

चीकू (Sapota) एक उष्णकटिबंधीय फल है, जो अपने मीठे स्वाद और पौष्टिक गुणों के कारण किसानों और उपभोक्ताओं में समान रूप से लोकप्रिय है। इसमें कार्बोहाइड्रेट, विटामिन-C, फाइबर और खनिज तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। उन्नत खेती पद्धति अपनाकर किसान चीकू से उच्च उत्पादन और बेहतर आर्थिक लाभ कमा सकते हैं।

भूमि और जलवायु की आवश्यकता:

चीकू की खेती के लिए हल्की बलुई या दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है।
भूमि का pH 6.5-7.5 होना चाहिए।
चीकू गर्म और उष्णकटिबंधीय जलवायु पसंद करता है।
अत्यधिक ठंड या ओस वाली जलवायु से पौधे प्रभावित हो सकते हैं।

प्रजातियों का चयन:

उन्नत खेती के लिए निम्नलिखित उन्नत किस्में उपयुक्त हैं:
Kappu, Cricket Ball, Kalipatti, Pala आदि।

इन किस्मों में उच्च उपज, बीमारियों की कम संवेदनशीलता और लंबे फलन काल के कारण वरीयता दी जाती है।

रोपाई और spacing:

रोपाई समय: मुख्यतः मानसून के बाद या फरवरी-मार्च में।
पौधों की दूरी: 6x6 मीटर या 7x7 मीटर, जिससे प्रकाश और वायु संचालन ठीक रहे।
गड्ढे की गहराई 60x60x60 सेमी रखें और इसमें गोबर/वर्मी कंपोस्ट मिलाएं।

सिंचाई प्रबंधन:

चीकू की खेती में सिंचाई वर्षा पर निर्भर या ड्रिप इरिगेशन से करें।
नए पौधों को सप्ताह में 2-3 बार पानी दें।
फल लगने के समय सिंचाई नियमित रखें, ताकि फलों का आकार और स्वाद बेहतर रहे।

उर्वरक और पोषण प्रबंधन:

मिट्टी परीक्षण के अनुसार NPK अनुपात निर्धारित करें।

प्रति पौधा:

नाइट्रोजन (N) – 250 ग्राम
फॉस्फोरस (P) – 125 ग्राम
पोटाश (K) – 250 ग्राम

वयस्क पौधों में प्रति वर्ष संधि सीजन में जैविक खाद डालें।

कटाई और उत्पादन:

चीकू की फसल पौधों की उम्र 3-4 वर्ष के बाद फल देना शुरू करती है।
फलों को संपूर्ण पकने के बाद हाथ से तोड़ना चाहिए।
औसत उत्पादन: 10-15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर; उन्नत किस्मों में 20-25 क्विंटल तक हो सकता है।

उन्नत खेती तकनीक:

मैगनेटिक/ट्रैप पेस्ट कंट्रोल – फल और पौधों को कीट मुक्त रखने के लिए।
ड्रिप इरिगेशन – पानी की बचत और पौधों की बेहतर वृद्धि के लिए।
प्रूनिंग (छंटाई) – स्वस्थ शाखाएं और बेहतर फल उत्पादन के लिए
गर्मी-ठंड नियंत्रण – नवनिर्मित ग्रीनहाउस या झिल्ली तकनीक से।

लाभ:

चीकू की उन्नत खेती में उच्च उत्पादन और बेहतर गुणवत्ता वाले फल मिलते हैं।
यह फल राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में आसानी से बिकता है।
किसान लघु निवेश में दीर्घकालिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

चीकू की उन्नत खेती अपनाकर किसान न केवल स्वास्थ्यवर्धक फल उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराते हैं, बल्कि आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर भी बन सकते हैं। उन्नत किस्मों, सही सिंचाई, जैविक खाद और कीट नियंत्रण के माध्यम से किसान उच्च गुणवत्ता और अधिक उत्पादन सुनिश्चित कर सकते हैं।

Leave a Reply



comments

Loading.....
  • No Previous Comments found.