शांतिपारा कुनकुरीकला में 41वें वर्ष की भव्य दुर्गा पूजा का आगाज़

सरगुजा : जिले के विकासखंड बतौली के कुनकुरीकला शांतिपारा नवरात्रि पर्व का उल्लास इस समय पूरे क्षेत्र में देखने को मिल रहा है। नव दुर्गा पूजा समिति शांतिपारा कुनकुरीकला द्वारा पिछले 41 वर्षों से निरंतर चल रही दुर्गा पूजा परंपरा इस बार और भी भव्य स्वरूप में सामने आई है। नवरात्रि के पहले दिन से ही माता के जयकारों गूंज रहा है। श्रद्धालु सुबह से ही माता रानी के दर्शन और पूजन के लिए उमड़ रहे हैं।
पंचमी दिवस तक आते-आते भक्तों का उत्साह चरम पर पहुँच चुका है। हर ओर माता रानी के दरबार में भक्ति, संगीत और आस्था का संगम दिखाई दे रहा है। टेन्ट को विशेष थीम पर सजाया गया है। रंग-बिरंगी लाइटिंग से जगमगाता यह टेन्ट रात के समय स्वर्गिक आभा बिखेर रहा है। दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालु यहां घंटों रुककर माता की प्रतिमा का निहारन कर रहे हैं और भक्ति रस में सराबोर हो रहे हैं।
समिति द्वारा प्रतिवर्ष की तरह इस बार भी अष्टमी, नवमी और दशमी को तीन दिवसीय विशाल मेले का आयोजन होगा। यह मेला बतौली क्षेत्र का सबसे बड़ा मेला माना जाता है, जहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। झूले, खिलौने, घरेलू सामान, मिठाइयाँ और सैकड़ों दुकानों की रौनक से पूरा मैदान मेले की शोभा बढ़ा देता है। स्थानीय से लेकर बाहरी क्षेत्रों के व्यापारी यहां अपनी दुकानें सजाते हैं, जिससे तीन दिन तक मेला क्षेत्र पूरी तरह चहल-पहल से भर जाता है।
विजयदशमी पर होगा विशेष आयोजन
विजयदशमी के दिन समिति द्वारा 35 फीट ऊँचे रावण दहन का आयोजन होगा। भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और हनुमान की झांकी धूमधाम से निकाली जाएगी, जिसमें सैकड़ों भक्त शामिल होकर जय श्रीराम के उद्घोष करेंगे। यह नजारा पूरे क्षेत्र को रामभक्ति के रंग में रंग देगा।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आकर्षण
अष्टमी, नवमी और दशमी की रातों को सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। स्थानीय कलाकार भक्ति गीत, नृत्य और रामलीला की प्रस्तुतियाँ देंगे, जो श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बनेंगे।
गरबा, कीर्तन और भजन संध्या
नवरात्रि के पहले दिन से ही हर शाम गरबा, कीर्तन और भजन संध्या का आयोजन हो रहा है। छोटे बच्चों से लेकर महिलाएँ और बुजुर्ग तक, सभी माता की आराधना में झूम रहे हैं। ढोल और मंजीरे की धुन पर जब श्रद्धालु झूमते हैं, तो वातावरण पूरी तरह भक्तिमय हो उठता है।
व्यवस्था और सुरक्षा पर विशेष ध्यान
समिति पदाधिकारियों ने बताया कि आयोजन को सफल बनाने में सभी पदाधिकारी और सदस्य तन-मन-धन से लगे हुए हैं। पार्किंग की पर्याप्त व्यवस्था की गई है, यातायात नियंत्रण हेतु स्वयंसेवक और प्रशासन दोनों की टीम मौजूद रहती है। श्रद्धालुओं को दर्शन में किसी प्रकार की असुविधा न हो, इसके लिए समिति पूरी तरह तत्पर है।
इस तरह शांतिपारा कुनकुरीकला का दुर्गा पूजा महोत्सव सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आस्था, भक्ति, संस्कृति और सामाजिक मेलजोल का संगम बन चुका है। यही कारण है कि हर वर्ष यहां की दुर्गा पूजा पूरे क्षेत्र में श्रद्धा और आकर्षण का केंद्र बनी रहती है।
रिपोर्टर : रिंकू सोनी
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