सीमांचल बना बिहार चुनाव 2025 का सेंटर पॉइंट, 24 सीटों पर ओवैसी की एंट्री से बिगड़ा महागठबंधन का गणित

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दूसरे और अंतिम चरण में कल यानी 11 नवंबर को 122 सीटों पर वोटिंग होगी। इनमें सबसे ज्यादा निगाहें सीमांचल क्षेत्र की 24 सीटों पर टिकी हैं, जहां मुकाबला बेहद दिलचस्प और निर्णायक माना जा रहा है। कटिहार, पूर्णिया, अररिया और किशनगंज की इन सीटों पर महागठबंधन, एनडीए और एआईएमआईएम तीनों गठबंधन पूरे दमखम के साथ मैदान में हैं। बांग्लादेश और नेपाल की सीमा से सटे इस इलाके की 47% आबादी मुस्लिम है, जबकि कुछ सीटों पर यह आंकड़ा 70% तक पहुंच जाता है। ऐसे में इस बार चुनावी समीकरण का संतुलन पूरी तरह असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के प्रदर्शन पर निर्भर करता दिखाई दे रहा है।

सीमांचल आरजेडी-कांग्रेस का गढ़

सीमांचल परंपरागत रूप से आरजेडी-कांग्रेस के महागठबंधन का गढ़ रहा है, जो मुस्लिम-यादव (MY) समीकरण पर टिका हुआ है। लेकिन 2020 के चुनाव में ओवैसी की पार्टी ने यहां 5 सीटें जीतकर इस समीकरण को बड़ा झटका दिया था। इस बार एआईएमआईएम करीब 15 सीटों पर चुनाव लड़ रही है और उसका जनाधार पहले से मजबूत दिख रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मुस्लिम वोटों के बंटवारे से महागठबंधन को नुकसान और एनडीए को फायदा हो सकता है, खासकर किशनगंज, जोकीहाट, अमौर और बायसी जैसी सीटों पर।

मुसलमानों के बीच रुझान अलग-अलग

स्थानीय स्तर पर सुरजापुरी और शेरशाहवादी मुसलमानों के बीच रुझान अलग-अलग हैं, जिससे एकजुटता की कमी दिखाई दे रही है। एनडीए इस विभाजन को “लोकल बनाम बाहरी” जैसे मुद्दों से और भुनाने में लगा है। इसके साथ ही पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के बयानों से हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण की संभावना बढ़ गई है — जो सीधे तौर पर एनडीए के पक्ष में जा सकती है।

महागठबंधन ने झोंकी ताकत

2020 में सीमांचल की 24 सीटों में से महागठबंधन ने 12 और एनडीए ने 6 सीटें जीती थीं। सत्ता में वापसी के लिए आरजेडी को इस बार कम से कम 18 से 20 सीटों की जरूरत है, इसलिए तेजस्वी यादव और राहुल गांधी ने इस क्षेत्र में अंतिम समय तक पूरी ताकत झोंक दी है। दूसरी ओर, एनडीए का मकसद यहां सिर्फ जीत नहीं बल्कि महागठबंधन के वोट बैंक में सेंध लगाना भी है। भाजपा को उम्मीद है कि ओवैसी की मौजूदगी और ध्रुवीकरण के चलते इस बार उसकी सीटें दहाई अंक पार कर सकती हैं।

AIMIM ने जीती थी 5 सीटें 

2020 में जीती गई 5 सीटों में से 4 विधायक भले ही बाद में आरजेडी में चले गए हों, लेकिन ओवैसी ने हार नहीं मानी है। वह उन मुस्लिम युवाओं की नाराजगी को भुनाना चाहते हैं जो खुद को कांग्रेस और आरजेडी की “वोट बैंक पॉलिटिक्स” से ठगा हुआ महसूस करते हैं। नतीजतन, सीमांचल की ये 24 सीटें इस बार न सिर्फ बिहार की सत्ता का समीकरण तय करेंगी, बल्कि यह भी बताएंगी कि बिहार की राजनीति में मुस्लिम वोट अब किस दिशा में जा रहे हैं।

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