सिविल अस्पताल की व्यवस्थाओं पर नहीं शहरवासियों को भरोसा, कहा सुधार की जरूरत

भेरूंदा :  सिविल अस्पताल की बिगड़ी व्यवस्थाओं पर  सर्वे करते हुए पांच सवाल जनता से पूछे, जिसमें आसपास के ग्रामीण और शहरवासी संतुष्ट नहीं हैं  सुधार की मांग कर रहे हैं। कई लोगों का कहना है कि अस्पताल की लचर व्यवस्थाओं को देखते हुए इलाज कराने निजी नर्सिंगहोम जाने लगे हैं लोग सिविल अस्पताल में स्टाफ के रवैये और नर्सौं के बोल बच्चन से नाराज और विशेषज्ञों के पद खाली पड़े होने से इलाज कराने पहुंचने वाले मरीजों को निराश होकर लौटना पड़ता है। लोगों को हो रही परेशानियां जानने के लिए  पांच सवालों के जवाब जनता से पूछे, जिसमें अधिकांश लोग इलाज की सुविधाओं से संतुष्ठ नहीं है। लोगों का कहना कि अस्पताल एक रेफर सेंटर बन गया है यहां पर गरीब लोग इलाज कराने आते हैं ऐसे में अगर कोई मरीज थोड़ा सा भी गंभीर अवस्था में होता है उसे तुरंत रेफर का पर्चा बनाकर परिजनों को थमा दिया जाता है इसके बाद परिजन घंटों एंबुलेंस की आने की राह ताकते रहते हैं स्टाफ से गुहार लगाते लगाते थक जाते हैं एंबुलेंस कब आएगी साहब इस परिस्थिति में कई मरीजों की एम्बुलेंस मौत का कारण बन जाती है ऐसे ही डिलेवरी वाली महिलाएं कहती है कि हमें भरती तो कर लिया होता है मगर घंटों डॉक्टर मैडम देखने नहीं आती इसके कारण कई महिलाओं की मौत का मामला भी सामने आया है वही सीजर न होने से गर्भवती महिलाओं को सीधे सीहोर या होशंगाबाद रेफर कर दिया जाता है, इसलिए लोग अब निजी नर्सिंगहोम जाने लगे हैं। बच्चों,  के इलाज की भी व्यवस्था सुचारू रूप से सही नहीं है। सौ बिस्तरीय अस्पताल के सवाल पर लोगों ने बताया कि शहर में सिविल अस्पताल की बिल्डिंग बनने की पिछले दिनों खूब चर्चा रही है लेकिन हकीकत में धरातल पर कुछ नहीं हुआ है सिर्फ करोड़ों की बिल्डिंग निर्माण कर शासन अपनी वाही - वाही लूटने में लगा हुआ है कभी-कभी तो परिजन अपने बेहोश मरीज को अपनी मोटरसाइकिल पर इलाज की कमी के कारण इधर-उधर घुमाते हुए भी देखा गया है इस सवाल पर लोगों का कहना कि जनसंख्या के अनुसार बड़ी अस्पताल होना जरूरी है, यदि सौ बिस्तर की अस्पताल बनी है तो उसमें डॉक्टरों की संख्या भी बढ़ जाएगी, मरीज को अच्छा इलाज मिल सके यहां तो गरीब भगवान के भरोसे ही है अस्पताल की सफाई व्यवस्था भी भगवान भरोसे हैं अस्पताल के गेट पर चारों तरफ थूक दान पीक दान ही नजर आता हं  70 प्रतिशत लोग अस्पताल की व्यवस्थाओं से नाखुश हैं। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में खुले प्राथमिक केन्द्रों पर भी व्यवस्थाएं गड़बड़  हैं डॉक्टरों की गैर हाजिरी के कारण ग्रामीण झोलाझाप डॉक्टरों के यहां इलाज कराने के लिए मजबूर हैं।

रिपोर्टर : संजय कलमोर 

Leave a Reply



comments

Loading.....
  • No Previous Comments found.