दोपहिया चालकों की जेब और जान दोनों पर भारी घंसौर टोल

सिवनी : सिवनी जिले के घंसौर जनपद अंतर्गत हाल ही में एक टोल प्लाजा का निर्माण घंसौर के पास किया गया है। यह टोल प्लाजा भले ही सरकार और संबंधित एजेंसियों की दृष्टि में एक विकासात्मक परियोजना हो, लेकिन आमजन, खासकर दोपहिया वाहन चालकों के लिए यह टोल एक बड़ी परेशानी का सबब बन चुका है। जिस उद्देश्य से यह टोल बनाया गया, यानी कि यातायात व्यवस्था को सुचारू बनाना और राजस्व संग्रह करना, वह उद्देश्य टू व्हीलर चालकों की कठिनाइयों के आगे कहीं फीका पड़ता नजर आता है।

टू व्हीलर चालकों के लिए नहीं है कोई सुगम मार्ग

टोल प्लाजा की संरचना को अगर नजदीक से देखा जाए, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि निर्माण के दौरान सिर्फ भारी वाहनों और चार पहिया गाड़ियों की सुविधाओं का ध्यान रखा गया है। दोपहिया वाहनों के लिए कोई अलग से निर्धारित लेन या निकासी मार्ग नहीं बनाया गया है। नतीजतन, टू व्हीलर वाहन चालकों को भारी वाहनों के बीच से होकर निकलना पड़ता है, जो न केवल असुविधाजनक है, बल्कि बेहद खतरनाक भी। एक आमदिन पर जब सुबह-शाम कार्यस्थलों, खेतों या स्कूलों के लिए लोग निकलते हैं, तब इस टोल पर दोपहिया वाहनों की कतारें देखने को मिलती हैं। लेकिन उनके लिए कोई स्पष्ट रास्ता नहीं होने के कारण कई बार छोटे वाहन चालकों को ट्रकों और बसों के बीच फंसकर निकलना पड़ता है। टोल प्लाजा से प्रभावित लोगों ने इस मुद्दे को कई बार स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के समक्ष उठाया है। एक स्थानीय किसान कहते हैं, “मैं रोज सुबह खेत जाता हूं। बाइक से जाना ही पड़ता है लेकिन जब टोल पर आता हूं तो कई बार तो गिरते-गिरते बचा हूं।” महिलाएं जो स्कूटी से स्कूल जाती हैं, उनके लिए ये टोल और भी ज्यादा डरावना है। न लेन है, न साइन बोर्ड। कई बार ट्रकों के बीच से निकलते समय कोई देखता भी नहीं है।”

विकास या परेशानी का प्रतीक?

यह सवाल लगातार उठ रहा है कि क्या यह टोल वास्तव में विकास का प्रतीक है या आमजन के लिए एक नई परेशानी? जहां एक ओर टोल प्लाजा के जरिए राजस्व संग्रह हो रहा है, वहीं दूसरी ओर हजारों आम नागरिकों की सुरक्षा को नजरअंदाज किया जा रहा है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार, प्रत्येक टोल प्लाजा पर सभी प्रकार के वाहनों के लिए अलग-अलग लेन होनी चाहिए। लेकिन घंसौर टोल पर यह मानक पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया है। टू व्हीलर चालकों के लिए कोई सुरक्षित व्यवस्था नहीं की गई है, जो कि सीधा नियमों का उल्लंघन है।

प्रशासनिक लापरवाही या नजरअंदाजी?

लेकिन यदि मौके पर जाकर देखा जाए, तो यह साफ होता है कि टू व्हीलर चालकों की सुविधा की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया गया है। ऐसा प्रतीत होता है कि यह निर्माण केवल चार पहिया और भारी वाहनों को ध्यान में रखकर किया गया है।

समस्या के दुष्परिणाम
इस टोल प्लाजा के कारण आए दिन छोटी-मोटी दुर्घटनाएं होती रहती हैं। कई बार दोपहिया वाहन ट्रकों के पिछले हिस्से से टकरा जाते हैं या फिर अचानक ब्रेक लगने पर पीछे से आने वाला वाहन टकरा जाता है। बरसात के मौसम में यह स्थिति और भी भयावह हो जाती है, जब सड़कों के किनारे कीचड़ और पानी भर जाता है, और टू व्हीलर चालकों के पास किनारे से निकलने का विकल्प भी नहीं रहता।
समाधान की जरूरत
इस समस्या से निपटने के लिए कुछ जरूरी कदम तुरंत उठाए जाने चाहिए:
1. टू व्हीलर वाहनों के लिए अलग लेन का निर्माण –
टोल प्लाजा पर दोपहिया वाहनों के लिए एक सुरक्षित, अलग, और निशानित लेन बनाई जानी चाहिए जिससे वे आसानी से टोल पार कर सकें।
2. सुरक्षा संकेतकों की स्थापना – टू व्हीलर मार्ग को चिन्हित करने के लिए स्पष्ट साइन बोर्ड और रिफ्लेक्टिव संकेतक लगाए जाने चाहिए।
3. सुरक्षा कर्मियों की तैनाती – टोल पर ऐसे कर्मचारी तैनात किए जाएं जो दोपहिया चालकों को सही मार्ग दिखाएं और दुर्घटनाओं से बचाएं।
4. स्थानीय प्रशासन की निगरानी – जिला प्रशासन को इस टोल की नियमित समीक्षा करनी चाहिए और जनता की शिकायतों का त्वरित समाधान करना चाहिए।
स्थानीय जनप्रतिनिधियों से अपेक्षाएं
इस समस्या को लेकर स्थानीय लोग अपने जनप्रतिनिधियों से भी निराश हैं। टोल से आना जाना होने के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। अब यह समय की मांग है कि क्षेत्रीय विधायक, सांसद और पंचायत प्रतिनिधि इस मुद्दे को गंभीरता से लें और टोल प्रबंधन व प्रशासन पर दबाव बनाएं ताकि जनता को राहत मिल सके।
घंसौर ग्वारी के पास बने इस टोल प्लाजा ने दोपहिया वाहन चालकों की जिंदगी को मुश्किल बना दिया है। यह एक ऐसा उदाहरण बन गया है, जहां विकास के नाम पर योजनाएं तो बनाई जाती हैं, लेकिन जमीन पर उन योजनाओं का क्रियान्वयन आम जनता के हितों को नजरअंदाज करके किया जाता है। सरकार और प्रशासन से अपेक्षा की जाती है कि वे जनता की इन समस्याओं को गंभीरता से लें और ऐसा समाधान निकालें जिससे आम नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। विकास तभी सार्थक है जब वह सबके लिए सुविधाजनक और समावेशी हो। टू व्हीलर चालक भी समाज का एक बड़ा हिस्सा हैं, और उनके अधिकारों की अनदेखी नहीं की जा सकती।

रिपोर्टर : ईश्वर दीक्षित

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