तिल की खेती कैसे करें? पूरी उत्पादन प्रक्रिया जानिए

तिल (Sesame) भारत में एक महत्वपूर्ण तिलहन फसल है, जिसका तेल निकालने और खाद्य उत्पादों में उपयोग किया जाता है। तिल की खेती सरल होती है, लेकिन सही उत्पादन तकनीक अपनाने से उत्पादकता और गुणवत्ता दोनों बेहतर होती है। अगर आप तिल की खेती शुरू करना चाहते हैं या अपनी उपज बढ़ाना चाहते हैं, तो यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी है।

1. भूमि और जलवायु की आवश्यकताएं

तिल लगभग सभी प्रकार की भूमि में उगाया जा सकता है, लेकिन अच्छी जल निकासी वाली दोमट या बालू मिट्टी सर्वोत्तम रहती है।
तिल की फसल को गर्म और शुष्क जलवायु पसंद है। 25°C से 35°C तापमान उपयुक्त होता है।
अत्यधिक बरसात या ठंडी जलवायु तिल की वृद्धि को प्रभावित कर सकती है।

2. बीज का चयन और बुवाई

उच्च गुणवत्ता वाले बीज का चयन करें, जो रोगप्रतिरोधी और उच्च उपज देने वाले हों।
बीजों को बोने से पहले 5-10 मिनट के लिए 52°C गर्म पानी में भिगोना उपज बढ़ाने में मदद करता है।
बीज बोने का समय फरवरी-मई के बीच उपयुक्त होता है।
बीजों को 2-3 सेमी गहरे और 30-45 सेमी की दूरी पर बोना चाहिए।

3. खाद और पोषण प्रबंधन

तिल को उर्वरक के रूप में 20-30 किग्रा नाइट्रोजन, 40-50 किग्रा फॉस्फोरस और 20-25 किग्रा पोटाश प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है।
भूमि परीक्षण कर सही मात्रा में उर्वरक का प्रयोग करें।
जैविक खाद जैसे गोबर की खाद का भी उपयोग फसल की गुणवत्ता बढ़ाता है।

4. सिंचाई

तिल की फसल को कम पानी की आवश्यकता होती है। बुवाई के बाद अच्छी सिंचाई जरूरी होती है।
फसल के बढ़ने के दौरान 2-3 सिंचाई पर्याप्त होती है, खासकर जब फूल और बीज बनने लगें।
अत्यधिक सिंचाई से फसल खराब हो सकती है, इसलिए जलभराव से बचें।

5. रोग और कीट नियंत्रण

तिल की फसल में ब्लाइट, डाउनी मिल्ड्यू, और कीट जैसे सफेद मक्खी, पत्ती मक्खी आम हैं।
रोग नियंत्रण के लिए प्रमाणित बीज, उचित अंतराल में फसल घेराव और कीटनाशकों का सही उपयोग करें।
नियमित फसल निरीक्षण और बीमारी के शुरुआती लक्षणों पर तुरंत कार्रवाई करें।

6. फसल कटाई और भंडारण

तिल की फसल लगभग 90-120 दिन में पक जाती है। जब तिल की पत्तियां पीली होने लगें और फली सूख जाए, तो कटाई करें।
कटाई के बाद तिल की फली को धूप में सुखाएं ताकि बीज पूरी तरह से सूख जाएं।
सूखे बीजों को साफ कर एयरटाइट कंटेनर में रखें ताकि गुणवत्ता बनी रहे।

तिल की खेती में सफलता पाने के लिए उचित बीज, सही समय पर बुवाई, पोषण और सिंचाई का संतुलन जरूरी है। साथ ही रोग-कीट नियंत्रण और सही कटाई-भंडारण तकनीक अपनाने से आप उच्च गुणवत्ता वाली तिल की फसल प्राप्त कर सकते हैं।

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