शासकीय भूमि पर रशूखदारों का कब्जा, कब चलेगा प्रशासन का बुलडोजर

शहडोल : शासकीय भूमि पर अतिक्रमण करनें वालों व अतिक्रमण की जद में रही शासकीय भूमि को मुक्त करानें के आदेश भले ही मोहन सरकार नें किये हों, लेकिन मैदानी स्तर पर इस आदेश के पालन को लेकर जिले में  राजस्व अमला सुस्त ही नजर आ रहा है। हालात ऐसे हैं कि जिले भर के नगरीय व ग्रामीण ईलाकों में ऐसी सैकडों चिन्हित भूमि है जो अतिक्रमणकारियों की जद में हैं और इन भूमियों को अतिक्रमण मुक्त करानें हेतु सरकार के सख्त रुख के बाद भी इन पर कोई कार्यवाही नहीं हो पा रही। सरकार के इस आदेश के बाद अब ऐसे तमाम क्षेत्र हैं जहां से शिकायतें भी सामनें आनें लगी है और अतिक्रमणकारियों पर कार्यवाही की मांग की जा रही है। 

अतिक्रमण की चपेट में ग्रामीण क्षेत्र

देखा जाये तो अतिक्रमण की जद में सबसे ज्यादा ग्रामीण क्षेत्र हैं। इन क्षेत्रों में जहां सरकार पर भूमि चिन्हित करनें में लगी हुई है वहीं ग्रामीण ईलाकों में प्रभावशाली व्यक्तियों द्वारा कई शासकीय भूमि पर अतिक्रमण करना पाया गया है‌। एक तरफ जहां राजस्व अमला इस तरह के क्षेत्र चिन्हांकित कर रहा है वहीं इन प्रभावशाली व्यक्तियों के प्रभाव के चलते इस दिशा में कार्यवाही भी धीमी पड़ती नजर आ रही है, गौरतलब है कि प्रदेश के ऐसे तमाम ईलाके हैं जहां राजस्व अमले की कार्यवाही के बाद शासकीय भूमियों को मुक्त कराया जा चुका है लेकिन जिले में इस कार्यवाही को लेकर प्रशासन सख्त नजर नहीं आ रहा है।

 अतिक्रमण मुक्त करानें की ग्राम पंचायत नें की शिकायत

हाल ही में एक ऐसी ही शिकायत बुढार तहसील अंर्तगत ग्राम पंचायत पकरिया द्वारा करते हुये अतिक्रमण क्षेत्र को मुक्त करानें कि मांग की गई है। लिखित शिकायत में पंचायत द्वारा बताया गया है कि पंचायत क्षेत्र के ग्राम जल्दीटोला अंर्तगत खसरा क्रमांक 159/1 रकवा - 1.1930 एवं 161 रकवा - 1.3290 के अंश भागों में साउथ वेस्ट पिनायकल एक्सप्लोरेशन लिमिटेड नामक कंपनी द्वारा अतिक्रमण कर वेयर हाउस यार्ड बनाया गया है। पंचायत द्वारा लेख किया गया है कि उक्त भूमि पंचायत के भवन आदि उपयोग के लिये आरक्षित हैं, और उक्त कंपनी द्वारा अतिक्रमण किये जानें से विकास कार्यों में बाधा उत्पन्न हो रही है। पंचायत द्वारा तहसील कार्यालय में शिकायत कर उक्त भूमियों के अतिक्रमित क्षेत्र से अतिक्रमण हटाये जानें की मांग की है। जिसकी सूचना पंचायत द्वारा कलेक्टर शहडोल को भी की है।

शासकीय भूमि से वशूल किया लाखों का किराया

जानकारी के मुताबिक ग्राम पकरिया के जल्दीटोला स्थित जिस भूमि पर अतिक्रमण किया गया है उक्त भूमि पर एक प्रभावशाली व्यक्ति द्वारा अतिक्रमण कर इसे एक निजी कंपनी को किराये पर दे दिया गया है। सूत्रों नें बताया कि किराये के रुप में उक्त कंपनी इसका हजारों रुपये किराया संबंधित व्यक्ति को प्रति माह प्रदान करती है। जबकि पंचायत स्तर पर होनें वाले कई विकास कार्य उक्त भूमि पर प्रस्तावित किये जा सकते हैं,लेकिन पंचायत के कब्जे में भूमि न होनें से इन विकास कार्यों में भी बाधा उत्पन्न हो रही है।

 विकास में बाधा बना अतिक्रमण 

गौरतलब है कि ग्राम पंचायत पकरिया देश के उन चुनिंदा ग्रामों में शामिल हैं जहां देश के मुखिया प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी शिरकत कर चुके हैं। रिलायंस इंडस्ट्रीज का सी बी एम प्रोजेक्ट होनें के साथ ही यह ग्राम एनएच व नगरीय निकाय की सीमा से भी लगा हुआ है। ऐसे में  एकतरफ इस क्षेत्र की भूमि के दाम नगरीय ईलाकों के समतुल्य है वहीं इस ग्राम के विकास में रिलायंस इंडस्ट्रीज द्वारा कई कार्य किये जा चुके हैं। पंचायत से जुडे जानकार बताते हैं कि रिलायंस सीबीएम इंडस्ट्रीज द्वारा पंचायत क्षेत्र में विकास कार्यों को लेकर मांग की जाती है, जिन कार्यों के लिये पंचायत स्तर पर शासकीय भूमि कि उपलब्धता पंचायत की जवाबदेही होती है, लेकिन पंचायत अंर्तगत आनें वाली भूमि पर अतिक्रमण होनें से इस तरह के विकास कार्यों में भी बाधा उत्पन्न हो रही है,जिसके लिये शासकीय भूमि चिन्हांकित कर उससे अतिक्रमण मुक्त कराना आवश्यक है। 

  अतिक्रमण पर मध्य प्रदेश सरकार द्वारा यह है कार्रवाई के निर्देश  
 
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने फ़ैसला किया है कि प्रदेश की सरकारी ज़मीन पर कब्ज़ा करने वालों को बेदखल किया जाएगा,सरकारी ज़मीन पर अतिक्रमण करने वालों पर भू-राजस्व अधिनियम की धारा 91 के तहत कार्रवाई की जाती है।
 पटवारी की रिपोर्ट के आधार पर, पहली बार अतिक्रमण करने पर अतिक्रमी को बेदखल किया जाता है। वहीं अगर तीसरी बार अतिक्रमण करने की पुष्टि होती है, तो अतिक्रमी को तीन महीने की जेल हो सकती है। सरकारी ज़मीन पर अतिक्रमण करने पर जुर्माना भी लगाया जाता है। उदाहरण के लिए, मध्य प्रदेश के उमरिया ज़िले में एक व्यक्ति पर सरकारी ज़मीन पर अतिक्रमण करने के जुर्म में करीब एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया था। सरकारी ज़मीन पर अतिक्रमण को रोकने के लिए, राजस्व अधिकारियों को कड़ी निगरानी रखने और अतिक्रमण को रोकने के लिए निर्देश दिए जाते हैं। गौरतलब है कि सरकारी जमीन पर कब्ज़ा करना एक अपराध है, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 447 के तहत सरकारी ज़मीन पर कब्जा किये जानें पर कार्यवाही हो सकती है।

रिपोर्टर : रजनीश शर्मा

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