के जी एफ-3 क़े तर्ज पर दीक्षित बने राकी भाई और गर्ग बना शागिर्द

शहडोल :  केजीएफ की तर्ज पर चलने वाले कोयले के इस खेल ने अलग-अलग समय में अलग-अलग मालिक पैदा किए।हलाकि केजीएफ में रॉकी भाई का अंत क्या हुआ था यह पार्ट-2के बाद सस्पेन्स अभी भी बना हुआ है कि पार्ट-3 में नया रॉकी भाई पैदा हुआ और उसने कम्पनी की आड़ में अवैध कोयले कर ठीहे को भी गुलजार कर दिया। सूत्रों के मुताबिक कल रात में दो बॉडी गाड़ी रामपुर खदान में बिना किसी अनुमति के अंदर घुस गई जिसकी तप्तीश सीआईएसएफ और अन्य जिम्मेदारों ने की बात यहीं नही खत्म हुई थाना प्रभारी ने अपने स्तर पर जाँच कर गाड़ी को फ्री छोड़ दिया किन्तु जब जाँच ऊपर स्तर तक पहुँच गया तो यह घटना हाई लेवल का हो गया।दोनों बॉडी गाड़ी के ड्राईवरों का कहना है कि हम नशे में थे और अचानक रास्ता भटक गए इस कारण रामपुर खदान में घुस गए। लेकिन पर्दे के पीछे रॉकी भाई दीक्षित और गर्ग जो खेला खेल रहे हैं यह किसी से छिपा नही मतलब केजीएफ पार्ट-3 के अंतिम किरदार यही हैं जो केजीएफ कि तर्ज पर अब जिले के अलावा  नए जिलों मे नए किरदारों ने जन्म लिया है और इनकी बादशाहत शुरू होने से पहले ही खत्म हो रही है। मिर्जापुर की तर्ज पर काम करने वाले कालीन और मुन्ना भैया (दीक्षित और गर्ग)अपने यार्ड में कोयला पहुँचवा रहे हैं और मिर्जापुर से लेकर अपने अलग-अलग ठीहों में माल पहुँचवा रहे हैं । कोयले की मंडी कहलाने वाली  उप्र में हजार मंडिया हैं जहाँ रॉकी भाई यानि दीक्षिय का कोयला बिना किसी रोंक टोंक के अपनी सेटिंग के दम पर पहुँच रहा है वहीं गर्ग भी राकी भाई बाहर से आकर दीक्षित का खास शागिर्द बना हुआ है और अपने ठीहे या अपने खास लोगों तक कोयले को पहुँचाने का इंतेजाम कर रहा है।

रिपोर्टर : रजनीश शहडोल

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