क्या है शनि देव की कहानी ?

हिंदु धर्म में शनिवार का दिन शनि देव को सर्मपित होता है , और शनिदेव कर्म के देवता भी कहलाए जाते है . इसके साथ ही शनि देव सबसे जल्दी नाराज हो जाते है ,जिस वजह से कहा भी जाता है कि अगर किसी व्यक्ति पर उनके गुस्से की दृष्टि पड़ जाए तो व्यक्ति कंगाल हो जाएगा . इसलिए कहते है कि अगर कर्म अच्छे रखोगो तो शनिदेव सदैव प्रसन्न रहेंगे . भगवान शिव ने शनिदेव को नवग्रहों में न्यायाधीश का काम सौंपा है. लेकिन जिन शनि देव से लोग ड़रते है उन शनि देव की भी एक कहानी है जहां ये बताया गया है कि शनि देव भी डरते है लेकिन किन से चलिए बताते है ,
शनि देव को कर्म का देवता कहा जाता है , अगर कर्म नही अच्छे हुए तो शनि देव अपना प्रकोप बरसाते है इसलिए कहते है कि कर्म को अच्छा रखना चाहिए वरना उनकी दृष्टि विनाश कर सकती है, पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि शनि महाराज भगवान सूर्य और उनकी दूसरी पत्नी छाया के पुत्र हैं. और एक बार गुस्से में सूर्यदेव ने अपने पुत्र शनि को शाप देकर उनके घर को जला दिया था। इसके बाद सूर्य को मनाने के लिए शनि ने काले तिल से अपने पिता सूर्य की पूजा की तो वो प्रसन्न हुए और यही कारण है कि शनि देव और सूर्य देव की पूजा में तिल का उपयोग किया जाता है , माना जाता है कि शनि देव बजरंगबली भगवान से डरते है , इसलिए शनि देव को प्रसन्न करने के लिए और शनि दोष को दूर करने के लिए बजरंबली की पूजा की जाती है , इसके साथ ही शनि देव श्री कृष्ण से भी डरते है क्यूंकि श्री कृष्ण शनि देव के इष्ट है , यहां तक की अपने इष्ट का एक दर्शन करने के लिए शनिदेव ने कोकिला में तपस्या की थी. और उनकी तपस्या से श्रीकृष्णजी ने प्रसन्न होकर कोयल के रूप में दर्शन दिए तब शनिदेव ने कहा था कि वह अब से कृष्णजी के भक्तों को परेशान नहीं करेंगे.
No Previous Comments found.